बड़ा बयान: ‘Kashi-Mathura दे दो… पर नई लिस्ट मत खोलो!’

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के पूर्व क्षेत्रीय निदेशक केके मुहम्मद ने मंदिर-मस्जिद विवादों पर बड़ा और संतुलित बयान दिया है। उनका कहना है कि ज्ञानवापी (वाराणसी) और कृष्ण जन्मभूमि (मथुरा) हिंदुओं के लिए वैसी ही आस्था के केंद्र हैं, जैसे मुसलमानों के लिए मक्का-मदीना

लेकिन उन्होंने हिंदू समुदाय को भी साफ सलाह दी—“इन तीन स्थानों (अयोध्या, काशी, मथुरा) के बाहर नई मांगें उठाना देश में तनाव बढ़ाएगा।”

“अयोध्या विवाद असली नहीं, वामपंथी प्रोपेगैंडा था” — केके मुहम्मद

इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में मुहम्मद ने बताया कि 1976 में वे प्रोफेसर बी.बी. लाल की टीम के साथ बाबरी मस्जिद की खुदाई में शामिल थे।

उन्होंने दावा किया कि— शुरुआत में मुस्लिम समुदाय मंदिर निर्माण को लेकर आशंकित नहीं था। लेकिन एक कम्युनिस्ट इतिहासकार ने गलत नैरेटिव फैलाया कि खुदाई में मंदिर होने के प्रमाण नहीं मिले। वह इतिहासकार कभी खुदाई स्थल पर गया ही नहीं था।

मुहम्मद कहते हैं— “यह सब fabricated था। मुस्लिम समुदाय को गुमराह किया गया, और विवाद अनावश्यक रूप से बढ़ा।”

“काशी-मथुरा हिंदू आस्था के केंद्र; मुस्लिम इन्हें स्वेच्छा से सौंपें”

उनका मानना है कि भारत में सौहार्द के लिए इन तीन स्थानों को लेकर हल निकलना जरूरी है—

  • अयोध्या
  • कृष्ण जन्मभूमि (मथुरा)
  • ज्ञानवापी (काशी)

मुहम्मद ने कहा— “Muslim community should voluntarily hand over these places. यह हिंदुओं के लिए मक्का-मदीना जितने पवित्र हैं।”

“लेकिन… अन्य जगहों पर नए-नए दावे न करें हिंदू”

मुहम्मद ने चेतावनी दी— “हर जगह मंदिर ढूँढने का trend खतरनाक है। इससे समाधान नहीं, टकराव बढ़ेगा।”

यानी वह दोनों पक्षों को संतुलित सलाह देते हैं— मुस्लिम—पवित्र स्थान सौंपें। हिंदू—नई लिस्ट न खोलें।

ताजमहल को लेकर दावे ‘पूरी तरह झूठे’ — केके मुहम्मद

कुछ संगठनों द्वारा ताजमहल को मंदिर बताने के दावे पर उन्होंने साफ कहा— यह जगह मूल रूप से राजा मान सिंह का महल था। बाद में यह जय सिंह और फिर शाहजहां को दी गई। इसके प्रमाण बीकानेर और जयपुर संग्रहालयों में मौजूद हैं। उन्होंने कहा— “ताजमहल को लेकर किए जा रहे दावे ऐतिहासिक रूप से गलत और भ्रामक हैं।”

संतुलन ही समाधान

मुहम्मद का संदेश दोनों पक्षों को एक समान है— तीन प्रमुख धार्मिक स्थलों पर समाधान हो सकता है। लेकिन भारत जैसे विविधतापूर्ण देश में लगातार नए दावे उठाना सामाजिक तनाव को बढ़ाएगा। उनकी राय— “तीन मुद्दे महत्वपूर्ण हैं। बाकी देश को शांति से आगे बढ़ने देना चाहिए।”

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