जगदीप धनखड़ के इस्तीफे का ‘रिकॉर्ड’ तोड़ खुलासा!

हुसैन अफसर
हुसैन अफसर

सोमवार को अचानक उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी थी. विपक्ष, खासकर कांग्रेस, इसे संदेह की निगाह से देख रहा था और कयास लगाए जा रहे थे कि यह जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू के एक महत्वपूर्ण बैठक में शामिल न होने से हुई उनकी नाराजगी का नतीजा है. हालांकि, धनखड़ ने अपने इस्तीफे में सेहत का हवाला दिया था. अब इन तमाम सवालों का जवाब खुद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दे दिया है, जिससे इस पूरे प्रकरण पर से काफी हद तक पर्दा उठ गया है.

कांग्रेस के दावों में कितना दम? नड्डा ने बताई ‘गैर-हाजिरी’ की असली वजह

कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष यह आरोप लगा रहा था कि जगदीप धनखड़ की बैठक में जेपी नड्डा और किरेन रिजिजू के न पहुंचने से उपराष्ट्रपति आहत हुए और उन्होंने इसी वजह से इस्तीफा दे दिया. लेकिन ऑफ कैमरा बातचीत में जेपी नड्डा ने इस पर सफाई दी है. उन्होंने स्पष्ट किया कि वे दोनों उपराष्ट्रपति द्वारा बुलाई गई 4:30 बजे की बैठक में इसलिए शामिल नहीं हो सके, क्योंकि वे अन्य महत्वपूर्ण संसदीय कार्यों में व्यस्त थे. नड्डा ने यह भी बताया कि इसकी पूर्व सूचना उपराष्ट्रपति के कार्यालय को दे दी गई थी. यह खुलासा कांग्रेस के उन दावों को काफी हद तक निराधार साबित करता है, जिनमें नाराजगी को इस्तीफे की वजह बताया जा रहा था.

‘रिकॉर्ड’ वाले बयान पर भी नड्डा ने किया स्पष्टीकरण

कांग्रेस का एक और संदेह जेपी नड्डा के उस बयान को लेकर था, जिसमें उन्होंने राज्यसभा में कहा था, “जो मैं बोल रहा वही ऑन रिकॉर्ड जाएगा, आप जो बोल रहे वो रिकॉर्ड में नहीं जाएगा.” विपक्ष को लगा था कि यह बयान कहीं सीधे तौर पर उपराष्ट्रपति के लिए तो नहीं था, जिससे वह आहत हुए हों. लेकिन नड्डा ने इस पर भी सफाई दी है. उन्होंने कहा कि यह बयान विपक्ष के टोकाटोकी करने वाले सांसदों के लिए था न कि चेयर (उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़) के लिए. इस स्पष्टीकरण से उस ‘सस्पेंस’ पर भी विराम लग गया है, जो इस बयान को लेकर बना हुआ था.

तो क्या अब सुलझ गया है रहस्य?

जेपी नड्डा की इन स्पष्टीकरणों के बाद यह माना जा सकता है कि जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के पीछे की असली वजह उनकी सेहत संबंधी प्राथमिकता ही थी, जैसा कि उन्होंने खुद इस्तीफे में उल्लेख किया है. नड्डा और रिजिजू की गैर-हाजिरी का कारण उनकी संसदीय व्यस्तताएं थीं, जिसकी सूचना भी पहले ही दे दी गई थी. ‘रिकॉर्ड’ वाले बयान का संबंध भी विपक्ष के सांसदों से था, न कि उपराष्ट्रपति से. ऐसे में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों द्वारा लगाए जा रहे आरोप अब शायद उतने पुख्ता नहीं लगते.

क्या आपको लगता है कि जेपी नड्डा की इस सफाई के बाद जगदीप धनखड़ के इस्तीफे को लेकर सारे संदेह दूर हो गए हैं, या अभी भी कोई अनसुलझा पहलू बाकी है?

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