गोपाल खेमका मर्डर केस: बिहार की सड़कों पर ‘गोलियों का विकास मॉडल’?

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

पटना के सबसे सुरक्षित समझे जाने वाले इलाकों में, व्यापारी गोपाल खेमका की सरेआम गोली मारकर हत्या कर दी गई। मजेदार (और दुखद) बात ये है कि घटनास्थल के पास थाना, एसपी और डीएम के बंगले थे – लेकिन पुलिस को पहुँचने में दो घंटे लग गए। शायद पुलिस रास्ते में गूगल मैप से रास्ता पूछ रही थी या फिर सोच रही थी – “इतनी जल्दी क्या है?

“हम तो यहीं थे!” — कंगना रनौत की मंडी में ‘लेट लेकिन लाइव’ एंट्री

व्यापारी बोले – अब ‘Business from Bihar’ नहीं, ‘Run from Bihar’

तेजस्वी यादव ने साफ कहा कि व्यापारी डर के कारण बिहार छोड़ना चाह रहे हैं। अब सवाल उठता है – जब गोली का डर निवेश से बड़ा हो जाए, तो कौन सा स्टार्टअप बिहार आएगा? “Ease of Doing Business छोड़िए, यहाँ तो ‘Ease of Staying Alive’ ही चैलेंज है।

जाँच का फॉर्मूला: गोली चले, कमेटी बने, जनता सो जाए

घटना के बाद प्रशासन का रवैया अब क्लासिक सरकारी स्क्रिप्ट जैसा है:

अफसर सस्पेंड

जांच कमेटी गठित

“दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा” वाला बयान

और फिर… सब चुप

बिहार में गोलीबारी के बाद जाँच कमेटी बनाना उतना ही आम है जितना बारिश के बाद गड्ढा।

राहुल गांधी का हमला: “क्राइम कैपिटल बन गया बिहार”

राहुल गांधी ने ट्वीट में लिखा, “बीजेपी और नीतीश कुमार ने मिलकर बिहार को भारत की क्राइम कैपिटल बना दिया है।”

उन्होंने आगे कहा कि “हर हत्या, हर लूट, हर गोली अब बदलाव की आवाज़ है।”

‘बुलेट ट्रेन नहीं आई, लेकिन बुलेट जरूर चल रही है’

तेजस्वी यादव ने सीधा निशाना साधा, मेरे घर के बाहर, सीएम हाउस के पास, जज के घर के बाहर… गोली हर जगह चल रही है। लेकिन कोई नहीं पकड़ा गया।

ये सुनकर तो लगता है कि बिहार में बुलेट ट्रेन की ज़रूरत नहीं, यहाँ तो बुलेट ही बुलेट चल रही है।

सिस्टम या सिंडिकेट?

तेजस्वी ने साफ आरोप लगाया कि जब तक भ्रष्ट अफसर घूस लेकर पोस्टिंग बेचते रहेंगे, तब तक किसी सुधार की उम्मीद मत कीजिए।

यानी बिहार का प्रशासन अब ‘सरकार’ नहीं, ‘सुपरमार्केट’ बन चुका है — जहाँ ट्रांसफर-पोस्टिंग सेल में मिलती है।

बिहार पुलिस के पास ‘Bulletproof Vest’ नहीं, ‘Excuse Proof Script’ है

हर बार वही डायलॉग:

  • “हम जांच कर रहे हैं”

  • “जल्द खुलासा होगा”

  • “दोषी नहीं बख्शे जाएंगे”

बिहार पुलिस में सबसे तेज़ चीज़ शायद यही स्क्रिप्ट है।

बिहार की गलियों में अब डर है, विकास नहीं

जब CM हाउस के बाहर भी गोलियाँ चलें और थाना पास हो फिर भी पुलिस सोई हो, तो समझ लीजिए कि बिहार में अब कानून का राज नहीं, अपराधियों का सेल्फ-गवर्नेंस चल रहा है।

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