
जहाँ दुनिया 21वीं सदी के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्लाइमेट चेंज और अंतरिक्ष में जीवन खोजने में लगी है, वहीं पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर आज भी 1947 की यादों में खोए हैं। शनिवार को पाकिस्तान मिलिट्री अकादमी (PMA) की पासिंग आउट परेड में जनरल साहब ने एक बार फिर वो धूल भरे “द्वि-राष्ट्र सिद्धांत” की किताब खोली और सबको याद दिलाया कि “मुसलमान और हिंदू दो अलग मुल्क हैं” — मानो आज भी भारत और पाकिस्तान का सीमा विवाद नहीं, वैचारिक तलाक ताज़ा चल रहा हो।
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इतिहास रिवाइंड मोड में: जनरल साहब की ‘समझदारी’
जनरल मुनीर ने कहा, “हमारी परंपराएं, सोच, रीति-रिवाज, सब अलग हैं। हम एक नहीं, दो राष्ट्र हैं।” अब सवाल यह उठता है कि यदि यह फर्क इतना साफ़ है तो पिछले 75 सालों से संयुक्त राष्ट्र की बैठकों में “डबल नेशन” के नाम पर इतना रोना क्यों?
उनके भाषण से साफ़ था कि उन्हें या तो इतिहास की बहुत पुरानी किताबें पढ़ाई जा रही हैं, या कोई “टाइम मशीन” पर बैठा के उन्हें 1940 में वापस भेज देता है, हर बार जब भारत कश्मीर में कोई बड़ा एक्शन लेता है।
कश्मीर: गले की नस या गले की फांस?
मुनीर साहब ने हाल ही में प्रवासी पाकिस्तानियों से कहा कि “कश्मीर हमारी गले की नस है।” अब यह बात तो उन्होंने इतनी बार दोहराई है कि पाकिस्तानी मेडिकल कॉलेज वालों ने “कश्मीर नस सिंड्रोम” नाम का नया चैप्टर शुरू कर दिया है।
भारत का जवाब हमेशा की तरह सटीक है — “गले की नस आपकी होगी, लेकिन नस जो है, वह भारत के शरीर में है।”
जिस तरह पाकिस्तान हर मुद्दे को कश्मीर से जोड़ता है, उससे लगता है कि उनका GPS सिस्टम शायद सिर्फ एक ही लोकेशन पर अटका है।
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मुनीर ने अपने कैडेट्स को गर्व से कहा: “हमारे पूर्वजों ने पाकिस्तान को कुर्बानियों से हासिल किया है और हम जानते हैं कि इसकी रक्षा कैसे करनी है।”
बिलकुल जनरल साहब! दुनिया ने देखा है कि आप कैसे रक्षा करते हैं — अर्थव्यवस्था की, मानवाधिकारों की, और अपने ही लोकतंत्र की।
जब आपके देश की जनता आटा और पेट्रोल के लिए लाइन में खड़ी हो, और फौज ट्विटर पर अपनी छवि सुधारने में व्यस्त हो, तो आपके “रक्षा ज्ञान” पर सवाल उठना लाज़मी है।
भारत की सीधी बात: भूगोल बदलते नहीं, बयान बदलते हैं
भारत सरकार बार-बार कह चुकी है — “जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत का अभिन्न हिस्सा थे, हैं और रहेंगे।” लेकिन जनरल साहब का रेडियो शायद अब भी जिन्ना की स्पीच पर अटका है। एक तरफ जहां भारत अंतरिक्ष में पहुंच रहा है, वहीं पाकिस्तान के जनरल आज भी “हम अलग हैं” का रिकॉर्ड प्ले कर रहे हैं — वो भी स्क्रैचड CD पर।
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छोड़िए जनरल साहब, भविष्य की सोचना सीखिए
जनरल मुनीर के हालिया बयान न तो नई रणनीति दिखाते हैं और न ही गंभीर कूटनीति। ये बयान केवल एक पुरानी स्क्रिप्ट को फिर से मंच पर लाने की कोशिश है — जिसमें तालियाँ अब नहीं, ठहाके बजते हैं। जब पूरा विश्व आगे बढ़ने की बात कर रहा है, तब पाकिस्तान की सेना पुराने नारों से अपनी जनता को फिर से वही सपना बेचने की कोशिश कर रही है — जो हकीकत से बहुत दूर है।