
शनिवार का दिन ग़ज़ा के लिए एक और डरावना चैप्टर लेकर आया। दक्षिणी ग़ज़ा स्थित नासेर अस्पताल के अनुसार, एक राहत सामग्री केंद्र के पास 24 लोगों की मौत हो गई। लोग खाने की तलाश में पहुंचे थे, लेकिन वहां मिला सिर्फ़ बारूद और गोलियां।
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“भूख थी, गोलियां मिलीं” – ग़ज़ा का ट्रैजिक ट्रेलर
मौके पर मौजूद फिलिस्तीनियों ने बताया कि वे राहत सामग्री लेने पहुंचे थे, तभी इसराइली सेना ने अचानक गोलीबारी शुरू कर दी।
राहत की लाइन में लगे लोगों को शायद पता नहीं था कि इस लाइन का अंत अस्पताल या कब्रिस्तान में होगा।
इसराइली सेना का तर्क – “गोलियां थीं, पर प्यार से!”
इसराइली डिफेंस फोर्सेज़ (IDF) ने कहा कि उनकी गोलीबारी में ‘कोई घायल नहीं हुआ’। एक अधिकारी ने बताया, “हमने सिर्फ चेतावनी के तौर पर गोली चलाई, हमें खतरा महसूस हुआ था।”
यानि IDF का वर्जन कुछ यूँ है – “हमने गोली चलाई, पर गुस्से में नहीं, सिर्फ़ हल्के डर में।”
स्वतंत्र पुष्टि नामुमकिन – ग़ज़ा बना ‘नो कैमरा ज़ोन’
किसी भी अंतरराष्ट्रीय मीडिया को ग़ज़ा के अंदर से रिपोर्टिंग की अनुमति नहीं है। तो फिलहाल यह तय नहीं किया जा सकता कि सच्चाई किस तरफ़ है — गोली चलाने वालों के पास कैमरा है, और मरने वालों के पास सबूत नहीं।
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राहत केंद्रों को अब “रिस्क ज़ोन” कहा जा रहा है। यानि रोटी लेने निकलिए, लेकिन हेलमेट पहनकर। ग़ज़ा में ज़िंदगी एक लाइव थ्रिलर बन चुकी है, जहां हर मोड़ पर क्लाइमैक्स मौत है।
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ग़ज़ा में फिलहाल रोटियों से ज्यादा बुलेट्स और बयानबाज़ियाँ मिल रही हैं।
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