
किसानों की आत्महत्या पर संसद में शोक कम और राजनीतिक शोर ज़्यादा देखने को मिला। राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के किसानों के लिए दुख जताया और सरकार की आत्मा को झकझोरने की कोशिश की। बीजेपी को यह दुखद बयानबाज़ी नहीं, बल्कि घिनौनी राजनीति लगी। अब देखना ये है कि अगला टेलीविज़न डिबेट “कर्ज़ बनाम क्रोध” कब आता है।
सपा ने BJP को आतंकी ठहराया, BJP बोली “साजिश है ये साजिश”
राहुल का आँकड़ा-अटैक: 767 घर उजड़ गए!
राहुल गांधी ने एक्स पर लिखा,
“तीन महीने में 767 किसानों की आत्महत्या… ये आंकड़े नहीं, टूटे हुए सपने हैं।”
और फिर उन्होंने उस सपने को भी तोड़ दिया, जो मोदी जी ने दिखाया था — “दोगुनी आमदनी का सपना।” राहुल का सीधा हमला था कि बीज से लेकर डीज़ल तक सब महंगा है, लेकिन MSP अब भी “Modi Sochna Padhega” मोड में है।
बीजेपी की वापसी: आंकड़े पुरानी सरकार के निकालो!
भाजपा नेता अमित मालवीय बोले,
“मृतकों की गिनती करके राजनीति करना शर्मनाक है।”
… और फिर खुद 55,928 आत्महत्याओं की गिनती करके गिनती से जवाब दिया। यानी कि “हमने तो ज़्यादा आत्महत्याएं देखी हैं, तुम तो अभी नए हो राजनीति में!”
MSP: मिनिमम सपोर्ट, मैक्सिमम प्रॉब्लम
किसान बोले, “हमें MSP चाहिए।”
सरकार बोली, “हमें चुनाव चाहिए।”
बीच में किसान फसल छोड़ कर भाषण काट रहे नेताओं की बर्बादी काट रहे हैं।
नेता व्यस्त हैं, किसान त्रस्त हैं!
जहाँ एक तरफ नेता ट्विटर पर ट्रेंड कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अन्नदाता अपने ही खेतों में अंधेरे में जल रहा है। बयानबाज़ी के इस खेल में, किसान का दुख अब TRP और चुनावी रैली के बाइट्स में बदल चुका है।
योगी की अनसुनी कहानी बड़े पर्दे पर: ‘अजेय’ का दमदार टीज़र आया सामने