एक्यूआई 339 पार, मंत्री बोले: “दिल्ली दोषी नहीं, पड़ोसी राज्यों की हवा खराब”

शकील सैफी
शकील सैफी

देश की राजधानी दिल्ली में वायु गुणवत्ता फिर ‘बेहद खराब’ स्थिति में पहुंच गई है। सोमवार सुबह 9 बजे का औसत AQI 339 रिकॉर्ड किया गया – यानी सांस लेना भी एक ‘हेल्थ रिस्क’ बन चुका है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के समीर ऐप के मुताबिक, राजधानी के 38 से अधिक मॉनिटरिंग स्टेशनों ने AQI को 300 के पार दर्ज किया।

दिल्ली सरकार का बयान: “दोषी हम नहीं, हवा बाहर से आई है”

दिल्ली सरकार के मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इस हालात के लिए दिल्ली के लोगों को नहीं, बल्कि पड़ोसी राज्यों की पराली और गाड़ियों को जिम्मेदार ठहराया।

“तीन दिन से हमने ट्रैफिक नहीं लगने दिया, पटाखे भी कम फोड़े गए। दिल्ली खुद प्रदूषण फैला नहीं रही।”

सिरसा का सीधा इशारा पंजाब और हरियाणा की ओर था, जहां पराली जलाने की घटनाएं लगातार जारी हैं।

पराली पर फिर ‘राजनीतिक धुआं’

सिरसा ने पराली जलाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी का हवाला देते हुए कहा,

“हम सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन कर रहे हैं लेकिन पराली जल रही है, यह दुखद है। मैं केजरीवाल जी से अनुरोध करूंगा कि पंजाब में इस पर गंभीरता से ध्यान दें और किसानों की मदद करें।”

यानि साफ है – दिल्ली की हवा अगर खराब है, तो उसका कसूर दिल्ली का नहीं है, ये हवा ‘आउटसोर्स’ हो रही है।

प्रदूषण कम, पर बहसें तेज़ – क्या है सच्चाई?

हालांकि मंत्री का दावा है कि इस बार लोगों ने पटाखे कम जलाए, लेकिन आंकड़े कह रहे हैं कि दिवाली के बाद एक्यूआई ने फिर छलांग लगाई।

  • अधिकांश इलाके ‘Very Poor’ से ‘Severe’ श्रेणी में पहुंचे
  • अस्पतालों में सांस और अस्थमा के मरीज़ों की संख्या बढ़ी
  • सुबह-सुबह दिल्ली के आसमान पर धुंध की मोटी परत छा गई

कौन जिम्मेदार?

कारण प्रतिशत योगदान
पराली जलाना 30-35% (CPCB अनुमान)
वाहन प्रदूषण 20-25%
निर्माण और धूल 15-20%
स्थानीय स्तर पर पटाखे 10% से कम (लेकिन असर अधिक)

हल खोजो, हवा नहीं!

दिल्लीवासियों को फिलहाल यही सलाह दी जा रही है:

  • N95 मास्क पहनें
  • सुबह की वॉक टालें
  • एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें
  • बच्चों और बुजुर्गों का विशेष ध्यान रखें

दोषारोपण से समाधान नहीं

राजनीतिक बयानबाजी चाहे जितनी हो जाए, लेकिन सच्चाई ये है कि दिल्ली की हवा साल दर साल बदतर होती जा रही है। पराली जलाना हो या ट्रैफिक – इसका समाधान टॉप लेवल नीति, एक्शन और तकनीक से ही निकलेगा।

वरना हम हर साल यही पढ़ते रहेंगे –

“AQI 339 हुआ… मंत्री बोले – दिल्ली नहीं, पड़ोसी जिम्मेदार!”

“महागठबंधन उलझा हुआ है, हम सीधा जीतने निकले हैं” – चिराग का वार प्लान!

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