
बिहार के दरभंगा में कांग्रेस और राजद की वोट अधिकार यात्रा के दौरान एक विवाद ने तूल पकड़ लिया है। यात्रा के दौरान मंच से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी मां के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की गईं, जिसके बाद वीडियो वायरल हो गया। यह टिप्पणी कांग्रेस और राजद की राजनीति के खिलाफ बीजेपी की तीखी प्रतिक्रिया का कारण बनी। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि अपशब्द कहने वाला शख्स बीजेपी का एजेंट है।
ओवैसी ने विपक्ष को दी नसीहत: “विरोध मर्यादा में रहकर करें”
इस विवाद के बीच, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने विपक्ष को मर्यादा में रहकर विरोध करने की सलाह दी। ओवैसी ने कहा, “विरोध करिए, लेकिन असभ्यता से बचें। प्रधानमंत्री की निंदा कीजिए, लेकिन सीमा नहीं पार करनी चाहिए। इससे बहस का स्तर बहुत नीचे चला जाएगा।” उनके इस बयान ने सियासी हलकों में एक नई चर्चा शुरू कर दी है।
कांग्रेस और बीजेपी के बीच वाकयुद्ध
दरभंगा के इस घटनाक्रम ने कांग्रेस और बीजेपी के बीच वाकयुद्ध को और तेज कर दिया है। बीजेपी ने इस टिप्पणी की कड़ी निंदा करते हुए इसे असंवेदनशील और अनुशासनहीनता का उदाहरण बताया। वहीं कांग्रेस ने जवाबी हमला करते हुए कहा कि मंच से बयान देने वाले व्यक्ति को बीजेपी का एजेंट करार दिया, यह आरोप लगाते हुए कि बीजेपी जानबूझकर इस तरह की घटनाओं को उकसाती है।
महुआ मोइत्रा पर ओवैसी की टिप्पणी
इसके साथ ही, ओवैसी ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा के बयान पर भी प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने गृह मंत्री अमित शाह के लिए कुछ अपशब्द कहे थे। ओवैसी ने कहा, “देश के गृह मंत्री के लिए ऐसे शब्दों का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए, इससे हमारी राजनीतिक संस्कृति को नुकसान होता है।”

राजनीतिक बहस और मर्यादा का सवाल
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि क्या राजनीतिक बहस को किसी भी स्तर पर गिरने देना उचित है? ओवैसी का कहना है कि राजनीति में विरोध होना चाहिए, लेकिन नम्रता और मर्यादा बनाए रखना उतना ही जरूरी है। अगर यह मर्यादा खो दी गई, तो न केवल राजनीति का स्तर गिर जाएगा, बल्कि लोगों का विश्वास भी डगमगा सकता है।
दरभंगा में कांग्रेस और राजद की वोट अधिकार यात्रा के दौरान पीएम मोदी और उनकी मां पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया। इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, असदुद्दीन ओवैसी ने विपक्ष से मर्यादित विरोध की अपील की। अब यह देखना होगा कि आगे जाकर राजनीतिक दल इस मामले को किस दिशा में ले जाते हैं और क्या इस विवाद का कोई स्थायी समाधान निकलता है।
