CGHS–ECHS New Rules 2025: 50 लाख कर्मचारियों के लिए बड़ा बदलाव

शकील सैफी
शकील सैफी

केंद्र सरकार ने करीब 50 लाख कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए बड़ा फैसला लेते हुए CGHS और ECHS सिस्टम में जबरदस्त बदलाव कर दिया है। 5 दिसंबर 2025 को आए आदेश में साफ कहा गया- 15 दिसंबर 2025 की मध्यरात्रि से सभी मौजूदा MOA (समझौते) खत्म। यानी, सारे निजी पैनलबद्ध अस्पतालों को अब पुराने रिश्ते भूलकर नई शर्तों पर दोबारा आवेदन करना होगा। जो हॉस्पिटल ये री-एप्लिकेशन नहीं देंगे… सरल भाषा में — “List से बाहर, सेवा खत्म।”

ये बदलाव क्यों आए? अस्पतालों का दर्द + मरीजों की समस्या

कई निजी अस्पताल काफी समय से एक ही शिकायत कर रहे थे— “Rate वही पुराने, खर्चे नए जमाने वाले!”
मेडिकल लागत बढ़ गई, लेकिन CGHS रेट्स वही पुराने थे। इससे, अस्पताल क्लेम लेने में हिचकिचाते थे। मरीजों को ट्रीटमेंट में देरी होती थी। कई अस्पताल CGHS मरीजों से बचते थे।

सरकार अब पूरे सिस्टम को साफ-सुथरा + आसान + डिजिटल बनाना चाहती है। यही वजह है कि नए नियम बनाए गए हैं।

पहले भी बड़े अपडेट आ चुके हैं: सिस्टम को लगभग ‘स्मार्ट’ बनाया गया

सरकार CGHS–ECHS 2.0 की तरह बड़े बदलाव पहले भी कर चुकी है:

  • रेफरल सिस्टम पूरी तरह डिजिटल
  • ऑनलाइन OPD/टेली-कंसल्टेशन
  • पेंशनरों के लिए कैशलेस इलाज
  • अस्पतालों पर सख्त पेनल्टी
  • रूम रेंट, सर्जरी, ICU, डायग्नॉस्टिक्स की नई दरें

ये नया आदेश उसी अपग्रेड का अगला चरण है।

सरकार के नए आदेश में क्या लिखा है? मुख्य पॉइंट्स आसान भाषा में

नया आदेश कहता है:

1. सभी पुराने MOA 15 दिसंबर 2025 की रात 12 बजे से रद्द

कोई भी पुराना कॉन्ट्रैक्ट काम नहीं करेगा।

2. अस्पतालों को नए सिरे से आवेदन करना होगा

ऑनलाइन Hospital Empanelment Module में जाकर रजिस्टर करें।

3. 90 दिनों के भीतर नया MOA साइन करना जरूरी

वरना आवेदन ऑटो कैंसिल।

4. अस्पतालों को 15 दिसंबर 2025 से पहले ‘वचन-पत्र’ देना होगा

इसमें यह कहना होगा कि, “हम नई दरों और शर्तों को मानते हैं।”

5. वचन-पत्र न देने वाले अस्पताल सीधे पैनल से बाहर

No letter = No panel = No CGHS/ECHS patient.

कर्मचारियों के लिए इसका फायदा क्या?

  • इलाज की स्पष्ट और अपडेटेड कीमतें
  • अस्पतालों की जवाबदेही बढ़ेगी
  • क्लेम प्रोसेस तेज़ और डिजिटल
  • CGHS कार्ड वालों को भटकना कम पड़ेगा

सरल शब्दों में— अब अस्पतालों का मनमाना चालान बंद, और मरीजों का खर्च कंट्रोल में।

अब अस्पताल बोले—‘Exam देने आए थे क्या?’

अस्पतालों को:

  • री-एप्लाई करना है
  • वचन-पत्र देना है
  • नए MOA पर साइन करना है

पूरा प्रोसेस इतना सख्त है कि कई अस्पताल बोल सकते हैं— “CGHS मरीज लेने के लिए भी अब UPSC जैसी तैयारी करनी पड़ेगी!”

लेकिन सरकार कहती है—“क्वालिटी हेल्थकेयर चाहिए तो नियम मानने पड़ेंगे।”

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