कंवर लाल मीणा की विधायकी गई, जेल भेजे गए बीजेपी विधायक

साक्षी चतुर्वेदी
साक्षी चतुर्वेदी

राजस्थान के बारां ज़िले की अंता विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक कंवर लाल मीणा की विधायकी समाप्त कर दी गई है, जिसका आदेश राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने अधिसूचना के माध्यम से जारी किया।

यह निर्णय बीस साल पुराने उस आपराधिक मामले के संदर्भ में आया है जिसमें विधायक को एसडीएम पर पिस्तौल तानने के आरोप में तीन साल की सज़ा सुनाई गई थी।

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कोर्ट के आदेश और सुप्रीम कोर्ट से झटका

विधायक मीणा ने 7 मई को सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका (SLP) दाखिल की थी, जो खारिज कर दी गई। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें दो सप्ताह के भीतर ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद 9 मई को ट्रायल कोर्ट ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया।

15 मई को उन्होंने कोर्ट में आत्मसमर्पण किया और उन्हें झालावाड़ की अकलेरा जेल भेज दिया गया।

विधानसभा अध्यक्ष का बयान:

विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा,

“मामले में राज्य के महाधिवक्ता और वरिष्ठ वकीलों से राय लेने के बाद निर्णय लिया गया। जैसे ही राय मिली, उसी दिन विधायक की सदस्यता समाप्त कर दी गई। मैं किसी दबाव में नहीं काम करता और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए।”

कांग्रेस की प्रतिक्रिया: “सत्यमेव जयते”

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता टीकाराम जूली ने इस निर्णय को संविधान की जीत बताया। उन्होंने कहा,

“यह कांग्रेस पार्टी के सतत संघर्ष और अदालत में दाखिल अवमानना याचिका का परिणाम है कि दोषी विधायक की सदस्यता रद्द हुई। लोकतंत्र और न्याय की जीत हुई है।”

क्या था पूरा मामला?

कंवर लाल मीणा पर आरोप था कि उन्होंने 2004 में एक प्रशासनिक विवाद के दौरान तत्कालीन SDM पर पिस्तौल तानी थी। मुकदमा लंबा खिंचता रहा और आखिरकार 2024 में उन्हें दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनाई गई। यह सजा उन्हें विधानसभा सदस्यता के अयोग्य बनाती है, जैसा कि जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के प्रावधानों में स्पष्ट है।

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इस घटनाक्रम ने यह साफ कर दिया कि कोई भी जनप्रतिनिधि कानून से ऊपर नहीं है। राजस्थान में यह मामला अब राजनीतिक बहस का विषय जरूर बनेगा, लेकिन इससे न्यायिक व्यवस्था और लोकतांत्रिक मूल्यों की मजबूती ज़रूर उजागर हुई है।

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