
“Swachh Bihar, Swasth Bihar” पढ़ने में बहुत अच्छा लगता है, बस ये स्लोगन आपको अस्पतालों की दीवार पर नहीं मिलेगा, क्योंकि दीवार ही गायब है… और डॉक्टर भी!”
20 साल में क्या बदल गया? Hospital की दीवारें ऊँची हो गईं, उम्मीदें नीचे गिर गईं!
नीतीश सरकार कहती है – “हमने हेल्थ सेक्टर में क्रांति कर दी है।”
कहाँ? शायद Google Sheets में!
Reality में तो आज भी ज़्यादातर PHC में डॉक्टर से ज़्यादा मच्छर मिलते हैं।
ब्लॉक अस्पताल में पहले 39 मरीज आते थे, अब 11,600 आ रहे हैं।
Mangal Pandey जी इसे “भरोसे” का नाम देते हैं।
Patients इसे “मजबूरी” कहते हैं।
आंख दिल्ली में ऑपरेट होती है, जनता की आंख बिहार में खुलती है
लालू जी बीमार हों तो दिल्ली AIIMS, नीतीश जी की आंख खराब हो तो दिल्ली, सुशील मोदी जी का कैंसर ट्रीटमेंट भी दिल्ली!
Common man बोले – “Doctor साहब! जब VIP लोग ही अपने सिस्टम पर भरोसा नहीं करते, तो हम तो Paracetamol से ही जुगाड़ कर लेंगे।”
CAG बोले – “Doctor कम हैं”, सरकार बोले – “Vote कम हैं!”
CAG रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में 1.25 लाख डॉक्टर चाहिए, हैं? बस 58,000 के आसपास।
मतलब – “अस्पताल में डॉक्टर कम और लाइन में मरीज ज्यादा।”
PMCH में 2727 पद, भरे सिर्फ़ 1749
DMCH में 1920 पद, तैनाती सिर्फ़ 1258
GMCH में हालत तो ICU में है – 959 पद, बस 301 डॉक्टर!
सवाल: इतने कम डॉक्टरों से इलाज कौन करेगा?
जवाब: मरीज खुद को ही Treat कर लें… YouTube University है न!
Patient बोले: “हमारा इलाज अस्पताल से ज़्यादा तो सांसद करते हैं!”
Pappu Yadav का दिल्ली वाला घर अब “बिहार Mini AIIMS” बन चुका है।
100–150 मरीज उनके घर में इलाज के इंतज़ार में बैठे रहते हैं।
Bihar के सांसदों का नया Portfolio –
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मेडिकल अपॉइंटमेंट दिलवाना
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दिल्ली में ठहराने की व्यवस्था
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और MRI का जुगाड़ भी!
Netaji बोले – “हम तो जनता की सेवा में लगे हैं।”
जनता बोले – “ठीक है, पर AIIMS तो बिहार में भी खोल देते!”
PMCH 2027 तक बन जाएगा दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा अस्पताल! आज? टूटी कुर्सी, लीक करता फैन!
भविष्य उज्जवल है, पर वर्तमान?
Patients खुद ड्रिप पकड़ते हैं, Relatives सफाई करते हैं।
Hospital Staff बोले – “हम Understaffed हैं।”
Government बोले – “Budget बढ़ा दिया है।”
Patient बोले – “बजट से क्या होगा? इलाज भी थोड़ा बढ़ाओ!”
Budget बढ़ा, इलाज नहीं! मरीज का दर्द वही पुराना
2004-05 में Health Budget था ₹705 करोड़
अब 2025 में बना ₹20,035 करोड़
परन्तु असल सवाल:
इतने Budget में इलाज का Level क्यों नहीं बढ़ा?
कहीं ऐसा तो नहीं कि Budget अस्पताल तक नहीं, अफसरों की गाड़ियों तक पहुंचा?
“हमें तो नौकरी मिली ही नहीं”
जमुई में 45% Paramedical स्टाफ गायब, पूर्वी चंपारण में 90% पोस्ट खाली!
बिहार के नक्शे में शायद ही ऐसा कोई जिला हो जहां डॉक्टर की पोस्ट खाली न हो।
Doctor बोले – “हम तो इधर ड्यूटी करते हैं, उधर Transfer का डर रहता है।”
Nurse बोले – “Patients से पहले हमें खुद भर्ती करवाना पड़ेगा।”
तो समाधान क्या है? हेल्थ सिस्टम का खुद इलाज करो!
PHC और CHC को इलाज़ के लायक बनाओ:
जहां X-ray की मशीन हो लेकिन Film न हो, वहाँ इलाज नहीं होता, Drama होता है।
डॉक्टर-नर्स की भर्ती तेज करो:
Bihar में Vacancy निकालना एक त्योहार जैसा हो गया है – आता है, जाता है… और फिर 2 साल तक कुछ नहीं होता।
सिस्टम पारदर्शी बनाओ:
कोई मरीज अगर भर्ती होना चाहे तो उसे MLA का recommendation न चाहिए, सिर्फ़ prescription चाहिए।
AIIMS सिर्फ़ दिल्ली में नहीं चाहिए, भरोसा बिहार में चाहिए
Bihar बदल रहा है — Excel शीट में, लेकिन जनता के हालात आज भी वही हैं। जब तक हेल्थ सिस्टम “Vote Bank” नहीं, “लाइफ लाइन” नहीं बनेगा, तब तक मरीज पटना से दिल्ली तक सिर्फ़ ट्रेन बदलते रहेंगे, इलाज नहीं।
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