बरी हुए, अखिलेश ने गले लगाया — आजम बोले, रिश्ता राजनीति से नहीं दिल से

महेंद्र सिंह
महेंद्र सिंह

लखनऊ की हजरतगंज कोतवाली में दर्ज छह साल पुराने मानहानि केस में आजम खान को आखिरकार राहत मिल गईMP-MLA कोर्ट ने शुक्रवार को अपना फैसला सुनाते हुए पूर्व मंत्री को सभी आरोपों से बरी कर दिया।

यह वही मामला था जो 2019 में एक टीवी चैनल पर दिए बयान के चलते दर्ज हुआ था। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त साक्ष्य नहीं हैं, इसलिए केस खत्म किया जाता है।

2019 का मामला, 2025 में फैसला — आजम के लिए राहत का साल

2019 में दर्ज यह केस अब जाकर अपने अंजाम पर पहुंचा। गौरतलब है कि इसी कोर्ट ने कुछ समय पहले अब्दुल्ला आजम को भी 6 साल पुराने धमकी केस में बरी किया था। ऐसे में खान परिवार के लिए यह डबल गुड न्यूज़ बन गई है।

“अखिलेश मेरा बेटा है, रिश्ता राजनीति से नहीं, मोहब्बत से है”

फैसले के बाद मीडिया से बात करते हुए आजम खान ने कहा — “अखिलेश यादव के साथ मेरा रिश्ता राजनीति से ऊपर है। हमारे परिवार 50 साल से जुड़े हैं। यह रिश्ता कमजोर होने में सालों लगेंगे, और मैं खुद इसकी जंग साफ कर दूंगा, किसी और को तकलीफ नहीं देनी पड़ेगी।”

इस बयान ने सियासी हलकों में SP की अंदरूनी एकता पर उठे सवालों को जैसे तुरंत शांत कर दिया।

अखिलेश-आजम की मुलाकात ने बढ़ाई चर्चाएं

एक महीने के अंदर अखिलेश यादव और आजम खान की यह दूसरी बड़ी मुलाकात थी। इस बार बातचीत पूरी तरह पारिवारिक माहौल में हुई। अब्दुल्ला आजम ने कहा — “हम दो नहीं, एक परिवार हैं। बातों में राजनीति नहीं, अपनापन था।”

अखिलेश यादव ने भी अपने X (Twitter) अकाउंट पर भावनात्मक पोस्ट लिखा:

“ना जाने कितनी यादें संग ले आए, जब वो आज हमारे घर पर आए!
यही मेल-मिलाप हमारी सांझी विरासत है।”

अब विपक्ष बोलेगा — कोर्ट भी सपा परिवार की तरफदार!

सोशल मीडिया पर फैसले के बाद मज़ाकिया प्रतिक्रियाओं की बाढ़ आ गई — कोई बोला, “कोर्ट ने बरी किया, अखिलेश ने बरी किया, बस मायावती ने ट्वीट नहीं किया!” तो किसी ने लिखा, “SP में बर्फ पिघलने लगी है, शायद PDA अब ‘परिवार दा आदर्श’ बन जाए।”

राजनीति के मैदान में बयानबाज़ी चाहे गरम हो, लेकिन आजम और अखिलेश के बीच की मुलाकात ने माहौल थोड़ा इमोशनल, थोड़ा सियासी और थोड़ा सा वायरल बना दिया।

UP पॉलिटिक्स में फिर एकजुट दिखी सपा

विशेषज्ञों का कहना है कि 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले यह मेल-मिलाप SP की इमेज को मजबूत करेगा और मुस्लिम वोट बैंक में फिर एकजुटता का संकेत देगा।

आजम खान का कोर्ट से बरी होना और अखिलेश से उनका मिलना — दोनों घटनाएं सपा के लिए राजनीतिक ऑक्सीजन का काम कर सकती हैं।

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