नीतीश सरकार का 1 करोड़ रोजगार वादा, असली मुद्दा या चुनावी जुमला?

आलोक सिंह
आलोक सिंह

चुनाव नजदीक आते ही बिहार की राजनीति में मानो “रोजगार रेन डांस” शुरू हो गया है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2025-30 के बीच 1 करोड़ युवाओं को नौकरी और रोजगार देने का ऐलान कर दिया है। ऐलान इतना भारी कि बिजली बिल से भी ज़्यादा करंट मार जाए!

“पहिने नाम जोड़ू, फेर वोट मांगू! बिहार चुनाव में सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर हल्ला

सरकारी नौकरी का मेल, अबकी बार पक्की रेल?

नीतीश कुमार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया कि अब तक 10 लाख सरकारी नौकरियां और लगभग 39 लाख रोजगार दिए जा चुके हैं। अब लक्ष्य है: 1 करोड़ नई नौकरियां और रोजगार। यानी हर गली, नुक्कड़ और चौपाल पर होगा एक नौकरीधारी – बस BPSC से निकल के गले मिले!

“युवाओं की भीड़, अब भी सपना अधूरा?”

हालांकि आंकड़े चौंकाते हैं – 2005 से 2020 के बीच 8 लाख सरकारी नौकरियां, फिर निश्चय योजना में 12 लाख का नया वादा। अब एक और कदम आगे – “Double or Nothing” का सियासी तीर। लेकिन सवाल वही पुराना: क्या ये नौकरी नौकरी है या केवल जुमलेबाज़ी का पोस्टर?

उच्च स्तरीय कमेटी या ऊंची उड़ान के सपने?

सीएम नीतीश ने कहा कि इसके लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी बनाई जाएगी। निजी क्षेत्र में नौकरियों के नए अवसर तैयार होंगे। सुनने में अच्छा लगता है, लेकिन बिहार में प्राइवेट सेक्टर है कहाँ? ईंट भट्ठा, ट्यूशन सेंटर और पान दुकान को क्या गूगल जॉब कहा जाए?

सवाल:

  1. क्या बिहार में नौकरी पाने के लिए अब टेबल फैन की जगह हाई लेवल कमेटी घूमेगी?

  2. क्या यह योजना भी 2020 के 10 लाख नौकरी वाले वादे जैसी होगी – जो “प्रोबेशन” पर अटका रह गया?

  3. क्या युवा अब भी बेरोजगारी के विरुद्ध नौकरी की ‘कैंडल मार्च’ से आगे बढ़ेंगे या बस फिर वोट देंगे?

तेजस्वी का ताना, मोदी-नीतीश पर निशाना!

विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने इस ऐलान को “महागुंडाराज का महाजुमला” बताया। उन्होंने एक पोस्टर शेयर कर पूछा – “जनता को सपना दिखाना कब तक चलेगा?” तेजस्वी का मानना है कि नीतीश का ट्रैक रिकॉर्ड बस इतना है कि वादे ज़्यादा, काम कम।

‘रोजगार का जादू या चुनावी चमत्कार?’

चुनावी मौसम में हर राज्य एक सपना देखता है – नौकरी, शिक्षा और विकास का। बिहार में भी यही चल रहा है। लेकिन जनता अब जुमलों और जनसंपर्क अभियानों से ज़्यादा रिजल्ट चाहती है। रोजगार की घोषणा हो गई है, अब इंतज़ार है – “नौकरी की नियुक्ति पत्र” का।

अगली बार जब कोई वादा करे तो पूछिए – “फॉर्म कब निकलेगा?”

बाप-बेटी का रिश्ता अब पासवर्ड से चलता है?

Related posts

Leave a Comment