राजा रघुवंशी मर्डर केस- बेटियां बच गईं, अब बेटों की बारी है! पोस्टर पॉलिटिक्स

Lee Chang (North East Expert)
Lee Chang (North East Expert)

राजा रघुवंशी हत्याकांड अब सिर्फ एक क्रिमिनल केस नहीं रहा — ये एक सामाजिक बहस का रूप ले चुका है।
MIG थाना, इंदौर के सामने लगे एक पोस्टर ने माहौल को और गर्मा दिया है।

पोस्टर में लिखा है:

“बेटियां तो बहुत बचा लीं, अब बेटों को बचाओ!”
“बेवफा बीवी की खौफनाक साजिश!”

अब जनता पूछ रही है — बेटियों की सुरक्षा पर सालों बात हुई, पर क्या बेटों के लिए भी आवाज़ उठेगी?

पोस्टर की पॉलिटिक्स: थाने के सामने भावनात्मक हमला

MIG थाने के ठीक सामने लगे इस पोस्टर में तीन चेहरे हैं:

  • पीड़ित: राजा रघुवंशी

  • आरोपी: सोनम रघुवंशी और राज कुशवाहा

पोस्टर में एक इमोशनल अपील है, और साथ ही “न्याय की आवाज़ तेज़ करो” जैसी पंक्तियां हैं, जो साफ बताती हैं कि शहर इस हत्या को सिर्फ पारिवारिक मामला नहीं मान रहा — यह एक सोशल जस्टिस मूवमेंट बनता जा रहा है।

पोस्टर किसने लगाया? पुलिस भी सोच में पड़ गई

अब तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह पोस्टर किसने लगाया। कोई सामाजिक संगठन? कोई पुरुष अधिकार कार्यकर्ता? या फिर आम जनता?

लेकिन जिस तरह से सोशल मीडिया पर यह पोस्टर वायरल हुआ है, उससे साफ है — जनता अब “साइलेंट नहीं, वॉयलेंट सपोर्ट” कर रही है।

“अब पति भी डरे-डरे रहते हैं!”

इंदौर के चौराहों पर चर्चा है:

“कभी बहू-बेटी बचाओ का ज़माना था, अब लगता है बेटों को भी मोर्चा चाहिए!”

इस घटना ने पिताओं की नींद उड़ा दी और शादीशुदा बेटों को सोशल मीडिया पर एक्टिव कर दिया है। मीम्स की बाढ़ आ चुकी है, जिनमें लिखा है:

  • “शादी मत कर बेटा, केस हो जाएगा!”

  • “अब ससुराल नहीं, वकील ज़रूरी है।”

जनता की मांग: राजा को इंसाफ चाहिए!

राजा रघुवंशी की मौत ने शहर को झकझोर दिया है। सड़क पर जनता उतरी है, सोशल मीडिया पर लोग ट्रेंड चला रहे हैं। ये मामला अब पुरुषों के अधिकारों की बहस का चेहरा बनता जा रहा है।

क्या कहते हैं लोग?

“अब तक ‘बेटी पढ़ाओ’ सुनते आए थे, अब लगता है बेटों को बचाने की क्लास भी खोलनी पड़ेगी।”
– स्थानीय निवासी, इंदौर

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