
चीन में चल रहे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) सम्मेलन में भारत ने एक बार फिर साफ शब्दों में दुनिया को याद दिलाया कि आतंकवाद और बातचीत एक साथ नहीं चल सकते।
मोदी बोले — ऑपरेशन सिंदूर! तालियां नहीं, बिजली गूंजी!
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने मंच से जम्मू-कश्मीर के पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए कहा कि इन हमलों में लश्कर-ए-तैयबा की ‘सिग्नेचर’ नजर आती है — और भारत अब चुप बैठने वालों में से नहीं।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ का जिक्र — शब्दों से ज़्यादा वार में भरोसा
राजनाथ सिंह ने बताया कि भारत ने 7 मई को एक बड़ा प्रतिकारात्मक सैन्य ऑपरेशन — ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अंजाम दिया। इसका उद्देश्य था, सीमा पार मौजूद आतंकी ढांचों को ध्वस्त करना और भारत में घुसपैठ को रोकना।
अब SCO के मंच पर जब ये कहा जाए, तो ‘अपरोक्ष पड़ोसी’ समझ जाता है कि लाल कालीन की जगह अब ‘लाल लकीर’ खींची जा रही है।
आतंकवाद और शांति साथ नहीं चलते — कूटनीतिक घूंसा
राजनाथ सिंह ने दो टूक कहा, आतंकवाद और शांति एक साथ नहीं चल सकते।
यह वही बात है जो भारत सालों से कहता आया है, लेकिन अब सामने चीन भी था, और साथ में रूस, मध्य एशिया और पाकिस्तान भी।
यानी दुनिया की डायरी में एक और बार भारत ने Bold लाइन खींच दी है।
पहलगाम हमला और लश्कर का चेहरा — ‘पुराना प्लॉट, नया एक्शन’
रक्षा मंत्री ने कहा कि पहलगाम में हुआ ताज़ा हमला और लश्कर-ए-तैयबा के पुराने हमलों में साफ समानताएं देखी जा सकती हैं।
संदेश स्पष्ट था — नाम भले बदल जाएं, चेहरा वही रहता है। और भारत अब इन चेहरों को पहचानता भी है और जवाब देना भी जानता है।
भारत की नई नीति: शांत बैठना अब OFFLINE है
SCO सम्मेलन में भारत ने फिर दुनिया को ये संदेश दिया कि अगर आतंकवाद सीमा पार से आता है, तो जवाब सीमा पार तक जाएगा।
‘ऑपरेशन सिंदूर’ सिर्फ एक सैन्य एक्शन नहीं, भारत की बदलती रणनीति का लाल निशान है — जो अब भाषणों में नहीं, मिसाइलों और मिशनों में दिखता है।