एक्स इज़ बैक… इन योर फैंटेसी- सिंगल हैं? एक्स की यादों से लें बूस्टर डोज़

Ajay Gupta
Ajay Gupta

हालिया सर्वे के मुताबिक 76% पुरुष और 59% महिलाएं आत्मरति करते वक्त अपने “एक्स” को याद करते हैं। जी हाँ, वो जो कभी ‘ब्लॉक’ कर चुके थे, अब दिमाग़ के प्राइवेट थिएटर में सुपरस्टार बन चुके हैं।

बीजेपी से संघ ने कहा —‘या तो लाइन पर आओ, वरना लाइन बदल दी जाएगी!

तो यादें हैं ‘बूस्टर’

डॉ. क्रिस्टी के अनुसार, अकेलेपन में पुरानी यादों का उपयोग करना गलत नहीं, बल्कि एक तरह का “इमोशनल पुनर्वास” है। ये यादें न सिर्फ आपको राहत देती हैं बल्कि खुद को बेहतर समझने में मदद करती हैं।

रिलेशनशिप में हैं तो भी एक्स? धोखा या फैंटेसी?

अगर आप रिश्ते में होते हुए भी एक्स के बारे में सोचते हैं, तो क्या ये बेवफाई है? डॉ. ओवरस्ट्रीट कहती हैं—नहीं! कई बार दिमाग़ पुराने अनुभवों से सीख कर वर्तमान में रोमांस को और बेहतर बनाता है। दिमाग कहता है – “रिवाइंड मार के देख लेते हैं!

जब ‘खुद से प्यार’ पार्टनर से बेहतर लगे

29% लोग मानते हैं कि आत्मरति असली रोमांस से बेहतर है। क्यों? क्योंकि यहाँ न कोई ऑर्डर देना पड़ता है, न मूड देखना—बस ‘खुद की खुशी, खुद के हाथ’। 31% पुरुष और 26% महिलाएं कहते हैं—‘वन हैंड ऑपरेशन’ ज़िंदाबाद!

महिलाएं भी कहां पीछे हैं?

महिलाएं औसतन महीने में 9 बार आत्म-सुख का आनंद लेती हैं—क्योंकि अब वो अपने शरीर को बेहतर समझती हैं। आत्मरति उनके लिए न सिर्फ स्ट्रेस रिलीज है, बल्कि सेल्फ-अवेयरनेस का जरिया भी।

कब बजती है खतरे की घंटी?

अगर आत्मरति इतनी बढ़ जाए कि पार्टनर से दूरी बढ़ने लगे, तो वक्त है संभलने का। बातचीत कीजिए—फैंटेसीज़ और ज़रूरतें साझा कीजिए। वरना बिस्तर पर ‘साइलेंट मोड’ लग सकता है।

एक्स को याद करना, गुनाह नहीं एहसास है!

जब तक आपकी फैंटेसी आपके रिश्ते का ‘डेटा बैलेंस’ नहीं खत्म कर रही, तब तक सब ठीक है। आत्मरति एक नैचुरल, हेल्दी आदत है—बस ध्यान रखें कि यह प्यार की जगह ना ले।

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