हेलो यूपी से बोले पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर- राज्य सरकार गंभीर, पर तंत्र लचर

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

लखनऊ में जारी भीषण गर्मी और राजनीतिक गर्मी के बीच गौरव त्रिपाठी  ने बातचीत की पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री कौशल किशोर से। मुद्दे थे ताज़ा – ऑपरेशन सिंदूर, अखिलेश यादव की “दलित-मुस्लिम एकता”, आगामी पंचायत चुनाव और राजधानी लखनऊ की बदहाल बिजली व्यवस्था।

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ऑपरेशन सिंदूर पर बोले – “सांस्कृतिक जागरण से डरती है विपक्ष”
पूर्व मंत्री ने बीजेपी के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ अभियान को “महिलाओं की सांस्कृतिक शक्ति का जागरण” बताया और कहा कि यह वोट बैंक नहीं, आत्मसम्मान की बात है।

“आज जो महिलाएं सार्वजनिक मंच पर सिंदूर लगा रही हैं, वो सिर्फ़ रीति नहीं – ये विरोध है उस सोच का, जो हमारी संस्कृति को पिछड़ा बताती है।”

उन्होंने विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए कहा कि जो लोग इस अभियान का विरोध कर रहे हैं, “वो भारत की आत्मा से कट चुके हैं।”

अखिलेश यादव का दलित-मुस्लिम समीकरण: “ये गठजोड़ टिकाऊ नहीं”
सपा प्रमुख अखिलेश यादव द्वारा दलित और मुस्लिम समुदाय के एकीकरण की राजनीति पर उन्होंने तीखा प्रहार किया:

“दलितों का सम्मान वोट से नहीं, हिस्सेदारी से तय होता है। मुस्लिम भी अब जागरूक हैं, वो सिर्फ़ नारे नहीं, काम देख रहे हैं।”

उन्होंने दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनाव में जिस तरह यह कार्ड फेल हुआ, उसी तरह यह पंचायत और विधानसभा में भी “जमीन पर नहीं चलेगा।”

पंचायत चुनाव: “भाजपा फिर से गांव-गांव में जीतेगी”
आगामी पंचायत चुनाव पर उनका दावा सीधा और आत्मविश्वासी था:

“गांवों में सबसे ज्यादा काम भाजपा ने किया है – उज्ज्वला गैस, आवास, शौचालय और सड़कें। जनता गांव में सरकार देखती है, वादा नहीं।”

उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी अपने बूथ स्तर के कार्यकर्ताओं और योजनाओं के दम पर पंचायत चुनाव में मजबूती से उतरेगी।

गर्मी में लखनऊ की बिजली समस्या: “राज्य सरकार गंभीर, पर तंत्र लचर”
जब बात लखनऊ की बिजली की हुई, तो कौशल किशोर ने व्यवस्था पर नाराज़गी जताई लेकिन योगी सरकार की मंशा का बचाव भी किया।

“मंत्री गंभीर हैं, मुख्यमंत्री समीक्षा कर रहे हैं। लेकिन विद्युत विभाग में कुछ अफसर अब भी लापरवाह हैं। सुधार ज़रूरी है।”

उन्होंने लखनऊ के कई इलाकों में 5-6 घंटे की कटौती, लो वोल्टेज, और अनियमित बिलिंग की शिकायतों को वाजिब बताया।

आख़िर में संदेश – “जाति की नहीं, काम की राजनीति होगी”
पूर्व मंत्री ने अंत में कहा कि जनता अब पहचानती है कि “कौन केवल तस्वीरों में है और कौन ज़मीन पर काम कर रहा है।”
उन्होंने युवाओं से “रोजगार, शिक्षा और सेवा योजनाओं” को देखकर वोट देने की अपील की।

पूर्व मंत्री कौशल किशोर का यह इंटरव्यू साफ़ करता है कि भाजपा की राजनीति अब सांस्कृतिक जड़ों, योजनाओं की डिलीवरी और विपक्ष की रणनीति को चुनौती देने पर केंद्रित है। पंचायत चुनाव की बिसात पर यह बयानबाज़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

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