
भोजपुरी भाषा, जिसकी मिठास और अपनापन पूरी दुनिया में मशहूर है, आज अपने ही घर में शर्मसार हो रही है। वजह है—भोजपुरी फिल्मों और म्यूजिक इंडस्ट्री में दिन-ब-दिन बढ़ती अश्लीलता। अब सवाल यह है कि इसका जिम्मेदार कौन है—निर्माता, गायक, हीरो-हिरोइन या हम दर्शक खुद?
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फिल्म निर्माता: सिर्फ व्यूज और कमाई की होड़ में भाषा की बली
बड़े-बड़े भोजपुरी प्रोड्यूसर्स आज सिर्फ “वायरल” और “ट्रेंडिंग” का गणित समझते हैं। कंटेंट की गुणवत्ता जाए भाड़ में, बस यूट्यूब पर मिलियन व्यूज और “हॉट” थंबनेल चाहिए।
अश्लील बोल, दोहरे अर्थ वाले गीत और भड़काऊ दृश्य अब मार्केटिंग टूल बन चुके हैं। बोली की मिठास अब बिज़नेस मॉडल में गुम हो गई है।
हीरो और गायक: स्टारडम की भूख या जिम्मेदारी से भाग?
भोजपुरी के कई सुपरस्टार्स और पॉपुलर सिंगर्स खुद इस गिरते स्तर के वाहक बन चुके हैं। जो गायक कल तक माता के भजन गाते थे, आज वो “कपड़ा फाड़” गानों में बेली डांस के साथ दिखाई दे रहे हैं। एक्टर भी ऐसे गानों में हिस्सा लेकर कला नहीं, बस नाम और पैसा कमाने की होड़ में हैं। लोकप्रियता की आंधी में नैतिकता उड़ गई।
ग्लैमर की आड़ में गिरते दृश्य
भोजपुरी फिल्मों की हिरोइनें आज सशक्त किरदारों से हटकर सिर्फ आइटम नंबर की डांसर बनकर रह गई हैं। उनकी स्क्रीन्स पर मौजूदगी, संवादों या अभिनय से नहीं, बल्कि कम कपड़ों और लचकती अदाओं से आंकी जाती है। यह बदलाव सिर्फ इंडस्ट्री की गलती नहीं, बल्कि महिलाओं के चरित्र चित्रण के गिरते ट्रेंड का भी हिस्सा है।
भोजपुरी संस्कृति को कैसे नुकसान पहुँचा रही है अश्लीलता?
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युवाओं में भाषा के प्रति सम्मान खत्म हो रहा है
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परिवार के साथ भोजपुरी गाने सुनना शर्म की बात बन गई है
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संस्कृति का गलत प्रतिनिधित्व हो रहा है
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भोजपुरी भाषा की छवि पूरे भारत में खराब हो रही है
समाधान क्या है?
कलाकारों को जागरूकता दिखानी होगी
जिस भाषा ने स्टार बनाया, उसी भाषा को बदनाम करना धोखा है।
सेंसर और प्लेटफॉर्म कंट्रोल जरूरी
यूट्यूब और म्यूजिक प्लेटफॉर्म्स पर भी अश्लील कंटेंट को फिल्टर करने की व्यवस्था होनी चाहिए।
दर्शकों को भी समझदारी दिखानी होगी
जो गानों को वायरल करते हैं, उनके पीछे भी तो हम ही हैं।
नाम नहीं, ज़िम्मेदारी कमाओ!
भोजपुरी गानों में अश्लीलता सिर्फ शब्दों की गंदगी नहीं, यह एक सांस्कृतिक अपराध है। यदि निर्माता, कलाकार और दर्शक मिलकर जिम्मेदारी नहीं लेंगे, तो आने वाले समय में भोजपुरी भाषा की पहचान सिर्फ “अश्लील” शब्दों से होगी, न कि उसकी मिठास से।
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