
11 मई 2025 को इंदौर में शादी करने वाले राजा और सोनम, अपनी नई जिंदगी का उत्सव मनाने मेघालय पहुंचे थे। 20 मई को शिलॉन्ग की वादियों में जो जोड़ी गई थी, वह अब एक खौफनाक खबर बन चुकी है।
“ये सिर्फ हत्या नहीं, मेहमाननवाज़ी के नकाब में छिपी एक खौफनाक सच्चाई है।”
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टाइमलाइन: झरनों से मौत की घाटी तक
22 मई: दोनों मावलाखियात पहुंचे, 3,000 सीढ़ियाँ उतर कर नोंग्रियात गाँव। 23 मई: सोनम ने आखिरी बार सास से बात की – थकी हुई आवाज़, धार्मिक व्रत और “घने जंगल” का ज़िक्र। 24 मई: स्कूटर लावारिस मिला – चाबी लगी हुई, मोबाइल बंद। 2 जून: वेसॉडोंग फॉल्स के पास खाई में राजा की क्षत-विक्षत लाश मिली।
हत्या या हादसा नहीं – ये ‘हॉरर टूरिज्म’ है!
राजा के शरीर पर तेजधार हथियार के गहरे घाव मिले, पास ही मिली ‘दाओ’ (स्थानीय मछेती), टूटा मोबाइल, महिला की कमीज़, टैबलेट की स्ट्रिप और राजा की स्मार्टवॉच। गहने और बटुआ गायब – यानी साफ लूट।
“हत्यारे सिर्फ जंगल में नहीं होते, वे स्कूटर किराए पर देने की दुकान से भी मिल सकते हैं।”
और सोनम? हवा हो गई क्या?
6 जून तक कोई सुराग नहीं – ड्रोन, डॉग स्क्वॉड, लोकल गाइड… सब नाकाम। पिंक-ब्लैक रेनकोट पर संदिग्ध धब्बे, पर सोनम का कोई पता नहीं।
“जैसे जंगल ने उसे निगल लिया हो…”
परिवार के आरोप – पुलिस नहीं, जंगल की कानून चलता है!
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राजा के भाई: “पुलिस झूठ बोलती रही, जहां शव मिला, वहीं तलाश न करने की बात कही।” सोनम के भाई: “यह अपहरण है। इससे पहले भी घटनाएं छिपाई गई हैं।” स्थानीय टूर गाइड्स और स्कूटर ऑपरेटर पर शक – पर SIT अब तक मौन।
हत्या, तस्करी या साजिश?
CBI जांच की मांग ज़ोरों पर है। सवाल उठते हैं:
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सोनम को अगवा किया गया?
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लूटपाट के बाद हत्या की गई?
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मेघालय की पर्यटक छवि बचाने के लिए क्या जानबूझकर तथ्य छिपाए जा रहे हैं?
“जब सैलानी ही सुरक्षित न हों, तो ‘इको-टूरिज्म’ सिर्फ स्लोगन बन जाता है।”
CCTV, वॉइस मैसेज और सस्पेंस
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होटल चेक-इन फुटेज – बस एक स्टिल पल, कोई हिंट नहीं।
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सोनम का वॉइस मैसेज – थकान, नाराज़गी, और तनाव की झलक।
“क्या यह रिश्ते का तनाव था, या खतरे की चेतावनी?”
मेघालय सरकार का भरोसा, पर भरोसा अब सवालों के घेरे में
CM कॉनराड संगमा ने घटना को “अभूतपूर्व” कहा। SIT जांच जारी, लेकिन परिवारों का भरोसा डगमगाया। इंदौर से लेकर शिलॉन्ग तक लोग जानना चाहते हैं – “सोनम कहां है?”
न्याय की टकटकी: क्या सच कभी बाहर आएगा?
राजा के अंतिम संस्कार में लिखा गया:
“मैं मरा नहीं… मुझे मारा गया है।”
यह केवल एक हत्या नहीं, युवाओं की सुरक्षा, पर्यटन के ढकोसले और प्रशासनिक चुप्पी का परीक्षण है।
राजा रघुवंशी की हत्या और सोनम की गुमशुदगी सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, यह पूरे सिस्टम के सवालों से बचने की आदत की पोल खोलती है। जब तक सोनम का सच सामने नहीं आता, भारत का एक कोना डर और रहस्य के साये में रहेगा।
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