
पाकिस्तान का आउटरिच मिशन, जो अमेरिका पहुंच चुका है, भारत के ऑपरेशन सिंदूर के समय पर सही नहीं कहा जा सकता। एक तरफ, भारत का मिशन आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस नीति पर केंद्रित है, और दूसरी ओर, पाकिस्तान का मिशन भारत को आतंकवाद का समर्थक साबित करने की कोशिश कर रहा है।
यह है पाकिस्तान का फिर से ‘पलटवार’ करने का तरीका, और यह सब तब हो रहा है जब बिलावल भुट्टो जैसे बड़बोले नेता अमेरिकियों के सामने अपना प्रोपगैंडा पेश कर रहे हैं।
भारत से सीधे टकराव की चुनौती
नीतीश की नींद, तेजस्वी की बेचैनी और चिराग का बिहार वाला ‘बम’!
पाकिस्तान के आउटरिच मिशन की अगुआई कर रहे बिलावल भुट्टो ने ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कंट्रीज (OIC) के मंच से भारत के खिलाफ शांतिपूर्ण वार्ता की आड़ में आतंकवाद का मुद्दा उठाया। अपनी कूटनीतिक चाल में उन्होंने कहा, “भारत और पाकिस्तान अगर मिलकर आतंकवाद से लड़ें, तो क्षेत्र आतंकवाद से मुक्त हो सकता है।”
तो क्या पाकिस्तान अपनी विकृत कूटनीति के जरिए भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है? बिलकुल! हालांकि, बिलावल ने यह कभी नहीं बताया कि पाकिस्तान में आतंकी हाफिज सईद क्यों खुलेआम घूम रहे हैं।
पाकिस्तान का ‘आतंकवाद’ वाले बयान का असली सच
पाकिस्तान के आर्मी चीफ आसिम मुनीर द्वारा दिए गए विवादास्पद बयान को छुपाते हुए, बिलावल भुट्टो भारत को आतंकवाद का बढ़ावा देने वाला बताने में जुटे हैं। क्या यह कोई नया ‘प्रोपगैंडा’ है या पाकिस्तान के अंदर छिपे आतंकवादी तंत्र की ‘ब्लैकमेलिंग’ की ओर इशारा?
क्या पाकिस्तान अपने आतंकी गढ़ को छुपाने के लिए भारत पर झूठे आरोपों की साजिश रच रहा है? सच तो यह है कि पाकिस्तान ने खुद कई आतंकवादी गुटों को भारत की सीमा पर भेजा है, और अब वह भारत को दोषी ठहराने की कोशिश कर रहा है।
आतंकी समझौतों की सच्चाई: पाकिस्तान का ‘पानी’ पर दावा
पाकिस्तान की जल संकट को लेकर चिल्लाहट भी उतनी ही ‘समान्य’ है। पाकिस्तान के उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल की कोशिश भारत के सिंधु जल समझौते को अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाने की है, जबकि वह खुद पानी की राजनीति को अपनी सुरक्षा और संप्रभुता के खिलाफ मानता है।
क्या पाकिस्तान इस मसले को आतंकी राजनीति में बदलकर वैश्विक ध्यान आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है? वही सिंधु जल समझौता, जिस पर पाकिस्तान खुद अपने आंतरिक मसलों को दबाने की कोशिश करता है।
भारत और पाकिस्तान के राजनैतिक ‘संग्राम’ का अंतर्राष्ट्रीय खेल
इस खेल में दोनों देशों के बीच ‘आतंकवाद’ पर संवाद का मुद्दा वाशिंगटन में बुरी तरह बिखर चुका है। भारतीय प्रतिनिधिमंडल के चीफ शशि थरूर ने पाकिस्तान के उच्चस्तरीय बहुपक्षीय मिशन पर कटाक्ष किया और कहा, “पाकिस्तान भारत से एक कदम पीछे है, क्योंकि हम और ज्यादा देशों तक पहुंच रहे हैं।”
यह बयान पाकिस्तान की नकल करने की पुरानी आदत को उजागर करता है। क्या पाकिस्तान कूटनीतिक स्तर पर भारत की नकल कर रहा है? बिलकुल! अब पाकिस्तान भी भारत जैसे दबाव वाले कदम उठाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन यह किसी कूटनीतिक सफलता की ओर इशारा नहीं करता।
पाकिस्तान का ‘प्रोपगैंडा’ और भारत की ‘संगठित नीति’
पाकिस्तान का आउटरिच मिशन भले ही अपनी कोशिशों को ‘शांति’ के रूप में पेश कर रहा हो, लेकिन इसकी असली मंशा भारत के खिलाफ झूठी नफरत फैलाने की है। अब यह देखना होगा कि अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान के प्रोपगैंडा को कैसे लेता है।
भारत की कूटनीतिक नीति आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस पर आधारित है, और जैसे-जैसे पाकिस्तान अपने आतंकवाद के गढ़ को छिपाने की कोशिश करता है, भारत अपनी शक्ति और समर्थन का दायरा बढ़ा रहा है। क्या पाकिस्तान इस ‘आतंकी प्रोपगैंडा’ से छुटकारा पा सकेगा? समय ही बताएगा!
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