
नाइजीरिया के सेंट्रल नाइजर राज्य के मोक्वा शहर में आई भीषण बाढ़ ने तबाही की ऐसी तस्वीर पेश की है, जिसे देख पूरा देश स्तब्ध है। 200 से अधिक लोगों की आधिकारिक मौत की पुष्टि हो चुकी है और 500 से ज्यादा लोग अब भी लापता हैं।
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स्थानीय अधिकारी मूसा किम्बोकू ने बीबीसी को बताया कि अब किसी के जीवित मिलने की संभावना नहीं बची, इसलिए बचाव कार्य बंद कर दिया गया है। इस आधार पर अनुमान लगाया जा रहा है कि मृतकों की संख्या 700 के पार जा सकती है।
60 वर्षों की सबसे विनाशकारी बाढ़
मोक्वा शहर में यह बाढ़ बीते 60 सालों की सबसे भीषण आपदा मानी जा रही है। कई इलाके पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं, और टिफ़िन माज़ा व अंगुवान हौसावा जैसे क्षेत्र इस त्रासदी के सबसे बड़े शिकार बने हैं।
बाढ़ ने न केवल लोगों की जान ली, बल्कि सैकड़ों घरों, स्कूलों और अस्पतालों को तबाह कर दिया।
बीमारियों का खतरा, शव निकालने की तैयारी
मोक्वा के ज़िला प्रमुख मुहम्मदु अलीयू ने कहा है कि जल्द ही प्रशासन बाढ़ में फंसे शवों को निकालने का अभियान शुरू करेगा ताकि बीमारी फैलने से रोकी जा सके।
स्थानीय स्वास्थ्य विभाग और राहत एजेंसियां संक्रमण फैलने की आशंका के चलते पूरी सतर्कता के साथ आगे बढ़ रही हैं।
2022 की बाढ़ से भी ज़्यादा गंभीर
नाइजीरिया ने 2022 में भी भीषण बाढ़ का सामना किया था, जिसमें 13 लाख लोग बेघर हुए थे और 600 से ज्यादा जानें गईं थीं। लेकिन 2025 की मोक्वा बाढ़, उस आपदा से भी ज़्यादा जानलेवा साबित हो रही है।
विशेषज्ञ इसे जलवायु परिवर्तन और कुप्रबंधन का नतीजा बता रहे हैं।
क्या कर रही है सरकार?
अब तक सरकार ने आपदा क्षेत्र में आपातकाल घोषित नहीं किया है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय सहायता की मांग की जा रही है। बचाव एजेंसियों के साथ NGO भी राहत कार्य में जुटे हुए हैं, लेकिन संसाधनों की भारी कमी है।
मोक्वा बाढ़ 2025 केवल एक प्राकृतिक आपदा नहीं, बल्कि सरकारी तंत्र, जलवायु संकट और मानवीय पीड़ा का संगम बन चुकी है। 700 से अधिक मौतें और सैकड़ों लापता लोगों की गूंज, नाइजीरिया ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए जागने की चेतावनी है।
जलवायु संकट अब दस्तक नहीं दे रहा – वह दरवाजा तोड़कर अंदर आ चुका है।
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