
उज्जैन के चरक भवन अस्पताल से एक ऐसा वीडियो सामने आया है, जिसने न सिर्फ पुलिस विभाग बल्कि जेल प्रशासन और मेडिकल बोर्ड – तीनों की नींव हिला दी। वीडियो में जानलेवा हमले के आरोपी अजय सिंदल को पुलिसकर्मियों के साथ शराब की बोतलें और ताश की गड्डियां संभालते देखा गया। इलाज चाहिए था, लेकिन यहां तो ‘इलाज-ए-ताश’ चल रहा था!
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कौन है आरोपी अजय सिंदल?
अजय सिंदल पर 1 सितंबर 2024 को अपने चाचा अनिल सिंदल पर जानलेवा हमला करने का आरोप है। गंभीर धाराओं में जेल भेजा गया, लेकिन “बीमारी” के बहाने अस्पताल पहुंचकर फिर से मस्ती मोड ऑन कर लिया। सिर्फ 101 दिनों में दूसरी बार वो मेडिकल लीव पर आया और इस बार 15 दिन के लिए “विश्राम” (या कहें ‘पार्टी’) पर था।
शराब, ताश और पुलिस – तीनों एक फ्रेम में
फरियादी अनिल सिंदल के बेटे शुभम ने आरोपी और पांच पुलिसवालों की इस पार्टी का वीडियो बना लिया। न कोई डर, न कोई शर्म – वर्दी उतार कर सब मस्त थे। इस नजारे को देखकर सवाल उठता है: क्या इलाज के नाम पर अस्पताल, अब नया कैसीनो बन गया है? डॉक्टर का स्टेथोस्कोप नहीं दिखा, लेकिन शराब के पैग और ताश की चाल जरूर थी!
सस्पेंशन की गूंज
वीडियो वायरल होते ही उज्जैन के SP प्रदीप शर्मा हरकत में आए और 5 पुलिसकर्मियों को तत्काल सस्पेंड कर दिया:
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गार्ड अल्ताफ हुसैन
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आरक्षक धर्मेंद्र मरमट
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सुनील बिठोरे, लखन अहिरवार और सुनील परमार
SP शर्मा ने कहा, “जांच चल रही है, दोष साबित हुआ तो बर्खास्ती तय है।”
अब उठते हैं कुछ गंभीर सवाल
क्या मेडिकल बोर्ड ने बिना जांच के आरोपी को भर्ती किया?
क्या अस्पताल प्रशासन और पुलिस में मिलीभगत थी?
जेल से अस्पताल ट्रांसफर का ये तरीका नया ट्रेंड बन गया है क्या?
पुलिस की छवि या ‘छवि पर दाग’?
ये घटना सिर्फ एक वायरल वीडियो नहीं, बल्कि पुलिस और प्रशासन की लापरवाही की जीती-जागती मिसाल है। जब जनता की रक्षा करने वाले खुद मस्ती में डूबे हों, तो अपराधी और आम नागरिक में फर्क कहाँ रह जाता है?