
उत्तर प्रदेश की राजनीति के चर्चित चेहरे और सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान को आखिरकार 8 साल पुराने सेना के जवानों पर टिप्पणी वाले केस में राहत मिल गई।
रामपुर की MP–MLA स्पेशल कोर्ट ने कहा — “सबूत नहीं हैं… मामले से आरोपी बाइज्जत बरी।”
राजनीति में कुछ केस सिर्फ चुनावी सभा में पैदा होते हैं और सुनवाई खत्म होते-होते अगला चुनाव भी निकल जाता है — यह केस भी उन्हीं में से एक।
केस किसने ठोका था? और क्यों?
2017 की चुनावी सभा में आजम खान पर आरोप लगा कि उन्होंने सेना को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। इस पर वर्तमान BJP विधायक आकाश सक्सेना ने केस दर्ज कराया।
8 साल सुनवाई चली… गवाह आए, गए… लेकिन सबूत कोर्ट तक पहुंचे ही नहीं।
नतीजा: आजम खान क्लीन चिट।
पर आज़म खान अभी भी जेल में क्यों हैं?
क्योंकि जिंदगी एक केस से नहीं चलती… दो और भी हैं! असल में, आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को दो PAN कार्ड वाले मामले में 7–7 साल की सजा मिल चुकी है। दोनों रामपुर जेल में बंद हैं।
जेल बदलने की अर्जी भी खारिज
आजम खान ने कोर्ट से कहा था कि— हेल्थ खराब है, मुझे A-Class जेल भेजो। जेल शिफ्ट दिन में किया जाए, रात में नहीं। बेटा अब्दुल्ला को भी मेरे साथ ही रखा जाए।

कोर्ट ने कहा — “भेज देंगे, लेकिन पहले हमारी भी अनुमति जरूरी है।” और बस, यहीं से मामला शांत।
पहले भी कई केस में बरी हो चुके हैं Azam Khan
राजनीति और कोर्ट… आज़म खान का रिश्ता लंबा है।
पिछले महीने भी:
- 2019 के भड़काऊ भाषण केस से बरी
- मानहानि और सरकारी मोहर दुरुपयोग केस से भी छूट
आज की छूट उनके लॉन्ग लिस्ट ऑफ़ “Acquittals” में एक और नाम जोड़ गई।
अब आगे क्या?
कानून कहता है कि हर केस अपनी जगह चलता है। आजम खान को इस केस में राहत जरूर मिली है, लेकिन जेल से बाहर आने का रास्ता अभी भी PAN कार्ड केस से होकर गुजरता है। UP की राजनीति में फिलहाल एक बात साफ है— Azam Khan के केस बंद होने के नाम भी उतने ही हैं जितने पेज किसी पुरानी फाइल के होते हैं।
