इंसानियत बदली — यूपी पुलिस का ‘Body Transfer Service’!”

Saima Siddiqui
Saima Siddiqui

यूपी पुलिस का “अमानवीय चेहरा” नामक phrase शायद इस वीडियो का इंतज़ार ही कर रहा था। मेरठ में दो पुलिसकर्मियों ने अज्ञात शव को उठाया और दूसरे थाना क्षेत्र में रात के अंधेरे में चुपचाप फेंक दिया, जैसे कोई online order का return parcel हो।

वीडियो वायरल होते ही पुलिस विभाग की नींद खुली — और तुरंत कार्रवाई में एल ब्लॉक चौकी प्रभारी जितेंद्र, आरक्षी राजेश और होमगार्ड रोहताश को निलंबित कर दिया गया।

वायरल वीडियो में क्या दिखा?

रात का समय। लोहियानगर थाना क्षेत्र की सड़क। सबसे पहले दो पुलिसकर्मी बाइक पर आते हैं। फिर पीछे-पीछे एक E-rickshaw आता है — सफाई से कवर किया हुआ, मानो मिशन पर निकला हो।

दोनों पुलिसकर्मी जगह तलाशते हैं। और फिर…E-rickshaw से लाश उतारी जाती है और एक बंद दुकान के बाहर रख दी जाती है।

रिक्शा चला जाता है। कुछ सेकंड बाद पुलिसकर्मी भी जाते दिखते हैं।

(लगता है गूगल मैप्स ने भी लोकेशन देखकर कहा होगा — “Are you sure?”)

मामला वायरल होते ही पुलिस हरकत में

वीडियो सोशल मीडिया पर थोड़ा नहीं, बहुत वायरल हुआ। भारी फजीहत से बचने के लिए विभाग ने तुरंत बयान जारी किया, “कड़ी कार्रवाई की जा रही है। यह अस्वीकार्य व्यवहार है।”

तीनों आरोपी कर्मियों का निलंबन तय —लेकिन सवाल बाकी है। क्यों एक लाश को थाना बदलकर dump करना ही solution लगा?

कानून-व्यवस्था पर सवाल

यह सिर्फ एक घटना नहीं — यह उस मानसिकता की झलक है जहां केस से बचने के लिए लाश तक को सड़कों पर छोड़ दिया जाता है।

हकीकत क्या कहती है?

पुलिस की प्राथमिक जिम्मेदारी होती है— मृतक की पहचान, जांच, परिवार को सूचना और सम्मानजनक कार्रवाई। लेकिन यहाँ ‘काम’ की बजाय ‘कचरा प्रबंधन’ वाला रवैया दिखा।

यह वीडियो सिर्फ एक घटना नहीं — यह एक गंभीर सिस्टम फेलियर का प्रतीक है। पुलिस ने कार्रवाई की है, लेकिन भरोसा टूटने के बाद उसे जोड़ना आसान नहीं।

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