
तुर्की की हवा में कबाब की खुशबू होनी थी, मगर वहां फैला तनाव का धुआं। अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान के बीच बातचीत का “इस्तांबुल एपिसोड” फेल हो गया — और अब तालिबान खुलकर बोल रहा है — “बातचीत नहीं टूटी, भरोसा टूटा है।”
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तालिबान के प्रवक्ता ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा — “हमने अच्छे इरादे दिखाए, लेकिन पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल ने सब कुछ हमारे सिर मढ़ दिया।”
मतलब साफ़ है — पाकिस्तान हर बार वही करता है जो हर ग्रुप प्रोजेक्ट में एक स्टूडेंट करता है — “Credit सबका, काम किसी और का।”
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मुजाहिद बोले — “किसी को भी अफ़ग़ानिस्तान की धरती दूसरे देश के ख़िलाफ़ इस्तेमाल करने की इजाज़त नहीं होगी।”
दुनिया भर में लोग बोले — “Irony just died.” क्योंकि तालिबान की यह लाइन कुछ वैसी है जैसे कोई हैकर बोले — “हम Cyber Security के प्रति समर्पित हैं।”
वार्ता की दीवार — ‘No Result Zone’
तुर्की में हुई बैठक में पाकिस्तान ने कहा — “हमारी सुरक्षा आपकी ज़िम्मेदारी।” तालिबान ने कहा — “आपकी सोच आपकी समस्या।”
और नतीजा वही निकला जो हर पड़ोसी झगड़े में निकलता है — “ना खाना खाया गया, ना टेबल बची।”
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तालिबान बोला — “पाकिस्तान के लोग हमारे भाई हैं।” अब सवाल ये कि अगर ये भाई हैं, तो क्या ये वही रिश्तेदार वाला भाई है जो हर शादी में झगड़ा करता है और फिर मिठाई मांगता है?

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ज़बीहुल्लाह मुजाहिद ने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान अपनी रक्षा करेगा, और किसी भी आक्रामकता का “पूरी ताक़त से जवाब” देगा। “यानि अब बातचीत की जगह फिर ‘Bam-Bam Diplomacy’ शुरू।”
“तुर्की में वार्ता नहीं हुई, वारता हो गई। पाकिस्तान और तालिबान दोनों ‘शांति’ का नाम लेकर ‘सस्पेंस थ्रिलर’ बना रहे हैं।”
अब दोनों देशों की राजनीति कुछ ऐसी लगती है — एक बोलता है “सुरक्षा हमारी नहीं,” दूसरा कहता है “नीति तुम्हारी नहीं।”
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