“रेत में दफन ईमानदारी! सोनभद्र में रात ढले चलता ‘बालू राज’

Ajay Gupta
Ajay Gupta

रेत के अवैध कारोबार ने सोनभद्र की नदियों को नंगा कर दिया है — और साथ ही प्रशासन की ईमानदारी की पोल भी खोल दी है।
हर रात घाटों से निकलते ट्रैक्टरों की घरघराहट अब घाटों की लोरी बन चुकी है, जिसे प्रशासन ने सुनना बंद कर दिया है।
अफसर आते हैं, जाते हैं, लेकिन माफिया? वो तो वहीं के वहीं, उसी रफ्तार से रेत की नदियाँ बहाते रहते हैं।

अवैध खनन का नया अध्याय — “ट्रैक्टरों की परेड, अफसरों की परहेज़”

जुगैल थाना क्षेत्र के कुडारी, चौरा और बिजौरा इलाकों में रात ढलते ही शुरू होता है “बालू महोत्सव”। रेत से लदे ट्रैक्टरों की कतारें निकलती हैं, मानो कोई सरकारी जुलूस हो — फर्क बस इतना है कि यहाँ “परमिट” की जगह “परमिशन” होती है… वो भी मौन वाली।

खनन विभाग और पुलिस अधिकारी सब जानते हैं — पर जानना और मानना दो अलग बातें हैं। कहने को खनन विभाग का नया कप्तान कमल कश्यप आया है, पर सिस्टम वही पुराना — फाइलें धूल में, और रेत ट्रकों में उड़ती।

बरसात में भी सूखी नहीं लालच

बरसात का मौसम, जब खनन पर “पूर्ण प्रतिबंध” लागू होता है, तब भी सोनभद्र में बालू का कारोबार “पूर्ण प्रवाह” में रहता है। यह सिर्फ लापरवाही नहीं — यह तो “प्रशासनिक पार्टनरशिप मॉडल” है। ग्रामीण कहते हैं — “शिकायत करो तो डराया जाता है, जांच हो तो फाइलों में गाड़ दिया जाता है।”
कागजों में गुनाहगार मिल जाते हैं, लेकिन असली गुनहगारों के गेट पर सरकारी गाड़ियों के टायरों के निशान होते हैं।

सिस्टम नतमस्तक, माफिया सर्वोच्च

कुडारी से घोरावल रोड तक रेत लदे वाहन हर रात घूमते हैं, मानो कोई नाइट शो चल रहा हो — जहाँ टिकट फ्री है, बस “साइलेंस” जरूरी है।

सवाल उठता है — क्या सोनभद्र में कानून की ताकत खत्म हो गई है या फिर सरकार खुद इस बालू साम्राज्य की “साइलेंट पार्टनर” बन चुकी है?

ग्राउंड रियलिटी: जनता की आवाज़ दब गई, रेत नहीं

स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि “नदियाँ लूटी जा रही हैं, पर किसी को फर्क नहीं पड़ता।” रेत से लदे ट्रक जब गांव की सड़कों से गुजरते हैं, तो धूल और धुंध में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। विकास की बातें अखबारों में हैं, पर जमीन पर बस धूल, धुंध और बेबसी है।

सोनभद्र में अब नदियाँ नहीं बहतीं — वहाँ बहती है “डीलिंग की धार” और “सिस्टम की सहमति की लहर”। खनन विभाग कहता है — “जांच होगी।”
पुलिस कहती है — “टीम बनाई गई है।” और माफिया कहता है — “भाई, ट्रक निकालो!”

अफसर बदलने से नहीं, इरादे बदलने से रुकेगा खनन

जब तक खनन विभाग अपने ही घर की सफाई नहीं करेगा, तब तक सोनभद्र की नदियाँ यूँ ही लूटी जाएंगी, और प्रशासन की ईमानदारी — रेत की तरह हाथ से फिसलती जाएगी।

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