
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की अब कूटनीति की शतरंज में अगला मोहरा बनना चाहते हैं। ट्रंप और पुतिन की प्रस्तावित बुडापेस्ट बैठक को लेकर उन्होंने कहा है — “अगर मुझे बुलाया गया, तो ज़रूर शामिल होऊंगा।”
इस बयान को समझा जाए तो मतलब ये है कि, “बैठक में शामिल होने की शर्त है — मुझे बुलाया भी जाए, और मेरी बात सुनी भी जाए!”
Trump-Putin की टेलीफोनिक बातचीत और ‘Budapest Calling’
गुरुवार को ट्रंप और पुतिन के बीच हुई फोन बातचीत के बाद खबर आई कि दोनों जल्द ही हंगरी की राजधानी बुडापेस्ट में मिलेंगे। मकसद — यूक्रेन युद्ध पर कोई समझौता निकालना। अब ज़ेलेंस्की साहब सोच रहे हैं — “अरे भाई, मेरी ही लड़ाई है और मीटिंग में बुलाया तक नहीं?”
“फेयर शांति चाहिए, Instant शांति नहीं” — Zelensky की भावनात्मक गुजारिश
शुक्रवार को व्हाइट हाउस में ट्रंप और ज़ेलेंस्की की मुलाकात हुई, जहां ‘बहस’ होने की खबरें सामने आईं। अमेरिकी पक्ष ने कथित तौर पर ज़ेलेंस्की को सलाह दी — “रूस की कुछ शर्तें मान लो और युद्ध खत्म करो।”
लेकिन ज़ेलेंस्की बोले:
“मेरा मक़सद न्यायपूर्ण शांति है, न कि तत्काल समझौता।”
यानि — “इंस्टेंट नूडल्स नहीं चाहिए, प्रेशर कुकर में धीमी शांति पकनी चाहिए!”
Zelensky का विक्टर ऑर्बन पर तंज: “हंगरी तो रूस की दूसरी शाखा है!”
इस मीटिंग के लिए हंगरी का चुनाव खुद एक टेढ़ी बात है। ज़ेलेंस्की इससे पहले साफ बोल चुके हैं:

“हंगरी के पीएम विक्टर ऑर्बन रूस के खास दोस्त हैं। उनसे कोई संतुलित भूमिका की उम्मीद करना बेमानी है।”
कूटनीति की भाषा में यह बोलना — “भैया, ये घर का बगीचा नहीं, ये तो सामने वाले का प्लॉट है!”
यूक्रेन, रूस और अमेरिका की तिकड़ी अब बुडापेस्ट में नई कूटनीतिक पारी की ओर बढ़ रही है। ट्रंप और पुतिन की मीटिंग तय है, लेकिन ज़ेलेंस्की का रुख साफ है — बात तभी होगी जब मुझे बुलाया जाएगा और मेरी बात को तरजीह दी जाएगी।
इस राजनीतिक त्रिकोण में फिलहाल सबसे बड़ी चिंता ये है कि क्या ये बैठक न्याय की दिशा में होगी, या सिर्फ युद्ध की नई रणनीति बनेगी?
राजनीति में आजकल शांति वार्ता भी Zoom Meeting जैसी हो गई है — “Link भेजा तो जुड़ेंगे, नहीं भेजा तो Tweet करेंगे!”
अब देखना ये है कि ज़ेलेंस्की को बुलावा मिलेगा या फिर वे भी Twitter Spaces पर अपनी बात कहेंगे।
