
रविवार की सुबह ग़ज़ा के अल-नुसेरत रिफ्यूजी कैंप में एक टैंकर के पास पानी भरने के लिए खड़ी भीड़ पर इसराइली एयरस्ट्राइक में 6 बच्चों सहित 10 लोगों की मौत हो गई।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, लोग खाली केन लिए कतार में खड़े थे जब अचानक हमला हुआ — और अगले पल धरती खून से लाल हो गई।
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अस्पतालों में अफरा-तफरी, डॉक्टर भी हैरान
मृतकों के शवों को अल-अवदा अस्पताल लाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने 10 मौतों की पुष्टि की और बताया कि 16 घायलों का इलाज किया जा रहा है, जिनमें 7 बच्चे शामिल हैं।
डॉक्टर ने कहा, “ऐसे हालात हमने कभी नहीं देखे। बच्चे सिर्फ पानी लेने निकले थे।”
तीन इमारतों पर हमला, 19 और मौतें
ग़ज़ा सिविल डिफ़ेंस एजेंसी के मुताबिक, उसी दिन सेंट्रल ग़ज़ा और ग़ज़ा सिटी की तीन रिहायशी इमारतों पर हमला हुआ, जिसमें 19 और फलीस्तीनियों की जान गई।
अब ग़ज़ा में मौत सिर्फ युद्ध का नतीजा नहीं, बल्कि एक रूटीन बन चुकी है।
रेड क्रॉस: “6 हफ्तों में 12 महीनों जितना बर्बादी”
रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय कमिटी ने कहा कि रफ़ाह फील्ड अस्पताल में पिछले 6 हफ्तों में जितना भारी संख्या में हताहतों का इलाज किया गया, “उतने मामले तो पिछले 12 महीनों में भी नहीं आए थे।”
यह बयान बताता है कि ग़ज़ा में हालात अब सिर्फ मानवीय नहीं, अमानवीय हो चुके हैं।
अब ग़ज़ा में पानी भी हथियार हो गया है।
जहाँ दुनिया बच्चों के लिए “Right to Water” की बात करती है, वहाँ ग़ज़ा में पानी लेने जाना खुद को बम पर चढ़ा देने जैसा हो गया है।
शब्द अब थक गए हैं, आँकड़े अब डराने लगे हैं। संयुक्त राष्ट्र की नज़रें झुकी हैं, और बच्चों की लाशें कतार में।