
उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों की स्थिति अब भी दयनीय बनी हुई है। पिछले कुछ वर्षों से सरकार की ओर से वादा किया गया था कि गन्ना किसानों का भुगतान 14 दिन में किया जाएगा, लेकिन हकीकत इससे परे है। इस समय गन्ना किसानों का कुल बकाया 4000 करोड़ से भी ज्यादा है, जिससे किसानों की परेशानियां लगातार बढ़ रही हैं। यूपी के गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर बकाया, खासतौर पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में, किसानों के लिए लगातार चिंता का विषय बना हुआ है।
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यूपी में गन्ना किसानों का बकाया क्यों बढ़ा?
उत्तर प्रदेश में 122 चीनी मिलें हैं, जो हर साल लाखों टन गन्ना खरीदती हैं। लेकिन इन मिलों में से बहुत सी मिलें किसानों को समय पर भुगतान नहीं कर रही हैं, जिसके कारण किसान परेशान हो रहे हैं। इस सीजन में 35000 करोड़ का गन्ना खरीदा गया, जिसमें से 88.38% भुगतान तो कर दिया गया है, लेकिन 4000 करोड़ अभी भी बकाया है।
सबसे ज्यादा बकाया कौन सी मिलों पर?
गन्ना किसानों का बकाया सबसे ज्यादा प्राइवेट चीनी मिलों पर है। इनमें बजाज ग्रुप की मिलें प्रमुख हैं, जिन पर लगभग 2300 करोड़ का भुगतान बाकी है। वहीं, केसर ग्रुप, मोदी और ओसवाल ग्रुप की मिलों पर भी पेमेंट बाकी है। हालांकि, सरकारी और सहकारी मिलों में भुगतान की स्थिति थोड़ी बेहतर है, लेकिन कुल मिलाकर किसानों को पूरा भुगतान समय पर नहीं मिल पा रहा।
राकेश टिकैत और अन्य नेताओं की चिंता
किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि यदि किसानों को समय पर भुगतान नहीं मिलेगा, तो उनकी स्थिति कभी भी बेहतर नहीं हो सकती। उन्होंने सरकार से अपील की है कि गन्ना किसानों का भुगतान 14 दिन में किया जाना चाहिए, जैसा कि 2017 में चुनावी वादे के तौर पर कहा गया था।
राजनीति और किसानों की स्थिति
किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी सवित मलिक का कहना है कि सरकार की ओर से गन्ना किसानों की कोई सुध नहीं ली जा रही है। जब बीजेपी सत्ता में आई थी, तो उसने 14 दिन में गन्ने के भुगतान का वादा किया था, लेकिन अब वह वादा भी भूल गई है। इसके परिणामस्वरूप किसान लगातार संघर्ष कर रहे हैं, और उनका बकाया बढ़ता जा रहा है।
सरकार और अफसरों का कहना क्या है?
गन्ना आयुक्त प्रमोद कुमार उपाध्याय ने बताया कि 9 प्राइवेट चीनी मिलों की आरसी काटी गई है, जिसमें बजाज की 6 चीनी मिलें शामिल हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि सरकार चीनी मिलों से जल्द भुगतान कराने के लिए प्रयासरत है।
मेरठ में स्थिति
मेरठ मंडल के उप गन्ना आयुक्त राजीव राय ने बताया कि मेरठ में 16 चीनी मिलें हैं, जिनके माध्यम से किसानों ने गन्ना सप्लाई किया है। हालांकि, अब तक 4000 करोड़ का भुगतान हो चुका है, लेकिन लगभग 1400 करोड़ अभी भी बकाया है। अफसरों का कहना है कि चीनी मिलों के पास सीसी लिमिट न होने के कारण भुगतान में देरी हो रही है, और इस पर जल्द कार्रवाई की जाएगी।
किसानों के संघर्ष को समझें
यूपी के गन्ना किसानों का संघर्ष सिर्फ आर्थिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक भी है। जब तक किसानों को उनका उचित भुगतान नहीं मिलता, तब तक उनकी स्थिति में सुधार नहीं हो सकता। गन्ना किसानों की खुशहाली का रास्ता खेत से होकर ही गुजरता है, जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह ने कहा था।
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