
यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की ने हाल ही में X (पूर्व ट्विटर) पर दावा किया कि वोवचांस्क क्षेत्र में यूक्रेनी सेना ने जिनसे मुकाबला किया, वे सिर्फ रूसी नहीं थे — बल्कि चीन, ताजिकिस्तान, उज़्बेकिस्तान, पाकिस्तान और अफ्रीकी देशों के भाड़े के सैनिक भी थे।
उन्होंने स्पष्ट कहा:
“हमारे सैनिकों को कई विदेशी लड़ाकों की मौजूदगी की जानकारी मिली है। हम इसका जवाब देंगे।”
पाकिस्तान बोला: बिना सबूत का झुनझुना न बजाएं!
ज़ेलेंस्की के इस दावे पर इस्लामाबाद तुरंत सख्त मोड में आया। पाकिस्तान सरकार ने बयान जारी करते हुए कहा:
“यूक्रेन संघर्ष में पाकिस्तानी नागरिकों की भागीदारी का कोई सबूत नहीं है। न हमें किसी यूक्रेनी अधिकारी ने संपर्क किया, न कोई प्रमाण भेजा गया।”
साथ ही पाकिस्तान ने यह भी जोड़ा कि वह इस मामले को यूक्रेनी अधिकारियों के सामने कूटनीतिक स्तर पर उठाएगा।
“सबूत नहीं, सिर्फ ट्वीट है!” — सैटेलाइट से नहीं चलता डिप्लोमेसी
कूटनीति के गलियारों में भी सवाल उठे कि अगर इतनी बड़ी बात है तो आधिकारिक नोट, रिपोर्ट या सबूत कहां हैं?
या फिर ये X पर X-फैक्टर दिखाने का एक और तरीका था?
पहले उत्तर कोरिया, अब पाकिस्तान?
गौरतलब है कि अक्टूबर 2024 में भी कुछ रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि उत्तर कोरिया के सैनिक यूक्रेन में रूस की मदद कर रहे हैं।
अब ज़ेलेंस्की का यह नया बयान कई देशों को एक साथ कटघरे में खड़ा कर रहा है।
जियोपॉलिटिक्स या जनरलाइजेशन?
“अगर इतनी नेशनलिटी के लोग रूस के लिए लड़ रहे हैं, तो यूक्रेन वॉर अब एक इंटरनेशनल PUBG Lobby बन चुकी है!”
क्या अब हर देश का नाम यूक्रेन के फ्रंटलाइन से जोड़ा जाएगा, बिना पुष्टि के?
बयानबाज़ी से ज़्यादा, डिप्लोमेसी ज़रूरी है!
ज़ेलेंस्की का बयान अगर सही है, तो उसे डिप्लोमैटिक चैनल्स से उठाना चाहिए था, न कि सोशल मीडिया हाइलाइट बनाना। और पाकिस्तान अगर निर्दोष है, तो उसे यूक्रेनी सरकार से क्लियर डिमांड करनी चाहिए — “बोलो कौन थे वो लोग?”
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