“ग़ज़ा में शांति का मौका! दुनिया बोली – अब मत बिगाड़ो सीन!”

हुसैन अफसर
हुसैन अफसर

ग़ज़ा में लंबे समय से चल रहे संघर्ष के बीच एक नई उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है। अमेरिका की तरफ़ से पेश की गई शांति योजना पर हमास की सकारात्मक प्रतिक्रिया के बाद दुनियाभर के बड़े नेताओं ने इस कदम का खुले दिल से स्वागत किया है।

पीएम मोदी बोले – निर्णायक मोड़ पर है ग़ज़ा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कदम को ‘निर्णायक प्रगति’ बताते हुए अमेरिकी नेतृत्व की तारीफ़ की।

“बंधकों की रिहाई का संकेत एक महत्वपूर्ण क़दम है। भारत स्थायी और न्यायपूर्ण शांति के प्रयासों का पूरा समर्थन करता रहेगा।”

यानि भारत अब सिर्फ़ ‘कूटनीतिक चाय’ नहीं पी रहा, बल्कि शांति की थाली में पूरी दाल परोस रहा है।

UN प्रमुख की गम्भीर अपील – मौक़ा हाथ से न जाए

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने इसे एक “ऐतिहासिक अवसर” बताया:

“सभी पक्षों को चाहिए कि इस मौके को गंवाएं नहीं। संघर्ष रोकना अब ज़रूरी है।”

संयुक्त राष्ट्र ने पहली बार ऐसा बोला जो मीम में नहीं कटेगा – सीधा दिल में कटेगा।

ब्रिटेन: मानवीय सहायता के रास्ते खुलेंगे

ब्रिटेन के पीएम कीएर स्टार्मर ने कहा:

“अगर समझौता लागू होता है, तो ज़रूरतमंदों तक मदद पहुँचना आसान होगा।”

ब्रीफ में कहें तो – “शांति आएगी तो खाना, दवाई और इंसानियत भी आएगी।”

फ़्रांस: अब बंधकों की रिहाई ज़रूरी

इमैनुएल मैक्रों ने दो टूक कहा:

“हमास को अपने वादे निभाने चाहिए, युद्धविराम अब ज़रूरी हो गया है।”

यानि पेरिस से पैग़ाम – “वादे करो तो निभाओ भी, वरना हम यूरोपियन नाराज़ हो जाएंगे!”

तुर्की: प्रतिक्रिया रचनात्मक, उम्मीद बरकरार

राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने इस प्रतिक्रिया को ‘रचनात्मक और अहम क़दम’ बताया।

शांति के लिए तुर्की हमेशा तैयार है – बातचीत हो या बर्गर मीटिंग।

जर्मनी: दो साल बाद पहला बड़ा मौका

चांसलर फ़्रिड्रिख़ मर्त्ज़ बोले:

“यह दो साल बाद शांति के लिए सबसे अच्छा मौक़ा है। चूके तो पछताएंगे।”

जर्मन इंजीनियरिंग की तरह – “वक्त पर फैसला लो, नहीं तो सिस्टम क्रैश कर जाएगा।”

इटली: बंधकों की रिहाई प्राथमिकता हो

प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी ने स्पष्ट कहा:

“युद्धविराम अब प्राथमिकता होनी चाहिए। इटली मदद को तैयार है।”

यानि अगर पिज़्ज़ा की तरह गर्मागर्म शांति चाहिए, तो अभी ओवन ऑन करो!

कनाडा: शब्दों से आगे बढ़कर कार्रवाई करो

मार्क कार्नी बोले:

“अब बातें काफी हो चुकीं, काम शुरू करो – और जल्द करो।”

कनाडाई अंदाज़ में बोले – “प्लीज़, प्लीज़, शांति का मौका मिस मत करना।”

क्या ये शांति का नया अध्याय हो सकता है?

ग़ज़ा में लंबे समय से जल रही जंग की आग अब बुझने की उम्मीद लेकर आई है। हमास की प्रतिक्रिया ने एक नई बहस छेड़ दी है – कि क्या वाकई शांति संभव है?

अगर सभी पक्ष अपने बयान को काम में बदलते हैं, तो 2025 की सबसे बड़ी जीत “शांति” हो सकती है।

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