
जब पत्नी जीना मुश्किल कर दे — तब क्या करें? “शादी वो कोर्ट है जहाँ सुनवाई हर दिन होती है, लेकिन जज सिर्फ एक ही होता है — बीवी!” घरेलू विवाद हो तो दिमाग शांत रखें, तलाक का नहीं… “तथ्य” का विचार करें
अगर आपकी पत्नी आपको रोज़ाना “तू कभी कुछ नहीं कर सकता!” टोन में ग्रीट करती है, तो पहले इमोशनल नहीं, इनोसेंट बनें।
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“हर बार तलाक सोचना वैसा ही है जैसे हर बार ट्रैफिक देखकर घर न जाना!”
सलाह: बिना प्रॉपर डॉक्यूमेंटेशन (SMS, कॉल रिकॉर्डिंग, गवाह) के कोई भी केस मजबूत नहीं बनता — चाहे वो कोर्ट में हो या सोफे पर।
मानसिक उत्पीड़न? जानिए आपकी कानूनी स्थिति
धारा 498A (कभी बीवियों का फेवरेट हथियार) अब Misuse-proof नहीं रही। कोर्ट अब सबूत मांगता है — सिर्फ आँसू नहीं।
“अगर पत्नी हर बात पर ‘मायके चली जाऊंगी’ कहती है, तो याद रखिए – आप कानून से नहीं, किराए के ऑटो से डरिए!”
क्या पत्नी आपकी संपत्ति पर दावा कर सकती है?
नहीं, पत्नी केवल पति की कमाई का हिस्सा मांग सकती है, मूल संपत्ति पर नहीं — जब तक वो संयुक्त नाम पर न हो।
“बीवी को दिल दे सकते हैं, लेकिन प्रॉपर्टी डीड सोच समझकर दें!”
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संधि या संन्यास?
“हर झगड़े का हल तलाक नहीं होता, कुछ मामलों में हेडफोन और Netflix भी बड़ा समाधान हैं!”
कोशिश करें कि बात विवाद से पहले ही समझदारी से सुलझा ली जाए। और अगर नहीं, तो कानूनी सलाह लेने से न हिचकें।
Final Legal Advice
“शादी एक कॉन्ट्रैक्ट है, जिसमें Termination से पहले Negotiation बहुत जरूरी है — वरना दोनों पार्टियां नुकसान में जाती हैं!”