
जिस मां ने बिना नज़र झपकाए तुम्हारी लंगोटी बदली, आज उसकी दवाई के पैसे पर भी तुम्हारी आत्मा आहत हो जाती है? जिस बाप ने अपने जूते घिसा कर तुम्हारे लिए स्कूल की फीस भरी, वो आज तुम्हारे दरवाज़े पर ‘No Vacancy’ जैसा महसूस करता है? “मोबाइल में Face ID है, लेकिन मां-बाप का चेहरा अब पहचान में नहीं आता?”
अब कानूनी पाठशाला खोलिए, साहब!
भारत में ये समस्या देखकर कानून ने भी कह दिया – “Enough is Enough!”
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Maintenance and Welfare of Parents and Senior Citizens Act, 2007
इस एक्ट के मुताबिक:
माता-पिता (जिनकी संतान है) और वरिष्ठ नागरिक (60+ आयु के) – अगर उन्हें देखभाल नहीं मिल रही है, तो वे DM के सामने शिकायत कर सकते हैं। हर महीने गुज़ारे भत्ते के रूप में ₹10,000 तक की राशि दिलवाई जा सकती है। हाँ, बेटा – जिस EMI में तुझे ‘Netflix Premium’ चाहिए, उस पर अब मां की दवाई भी ऐड होगी!
देखभाल न करने पर सज़ा:
₹5,000 का जुर्माना या 3 महीने की जेल, या दोनों। मतलब अब “Busy हूँ यार, टाइम नहीं है” की कीमत सीधे हवालात से चुकानी पड़ सकती है!
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माता-पिता को ‘ओल्ड एज होम’ में शिफ्ट करने से पहले, ज़रा उनके दर्द का Home Delivery करवा लो।
और अगर अब भी न समझो, तो कानून तुम्हारे लिए ‘Sanskaar 2.0 – Legal Edition’ इंस्टॉल कर देगा।
Pro-Tip
अगर आप माता-पिता हैं और ये पढ़ रहे हैं, तो अब वक्त आ गया है कि बच्चों को प्यार के साथ-साथ क़ानून की चिट्ठी भी पकड़ाएं। SDM ऑफिस जाएं – शिकायत दर्ज कराएं। और हाँ, आपकी इज्ज़त आपकी जिम्मेदारी है।