
देशभर में विवादों के केंद्र बने वक़्फ़ (संशोधन) अधिनियम 2025 पर सुप्रीम कोर्ट ने अहम अंतरिम आदेश जारी किया है। कोर्ट ने अधिनियम पर पूरी तरह से रोक लगाने से इनकार किया है, लेकिन विवादास्पद प्रावधानों को अस्थायी रूप से सस्पेंड कर दिया है।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने?
सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि पूरे वक़्फ़ कानून को नहीं रोका जाएगा, लेकिन ऐसे प्रावधान जो सीधे तौर पर धार्मिक आज़ादी या समानता का उल्लंघन करते हैं, उन पर अंतरिम रोक लगाई गई है।
इसमें खासतौर पर वो प्रावधान शामिल हैं जो 5 साल तक इस्लाम मानने की शर्त, या विशेष धर्म समुदाय से जुड़े व्यक्तियों को प्राथमिकता देने जैसे नियम लागू करते थे।
उमर अब्दुल्लाह की प्रतिक्रिया: “पहले से कहते आए हैं…”
जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “मैं पहले दिन से कह रहा हूं कि वक़्फ़ बिल में एक खास मज़हब के लोगों को टारगेट किया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने भी अब इस बात को नोटिस लिया है, ये अच्छा है।”
उन्होंने उम्मीद जताई कि आगे चलकर बाकी आपत्तिजनक हिस्से भी हटाए जाएंगे।
कौन से प्रावधान विवाद में हैं?
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5 साल तक इस्लाम स्वीकारने की अनिवार्यता

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अन्य धर्मों को प्रतिनिधित्व से वंचित करना
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वक़्फ़ संपत्तियों की रिपोर्टिंग में पारदर्शिता की कमी
इन नियमों को लेकर समाज के एक बड़े तबके ने धार्मिक भेदभाव और असंवैधानिकता के आरोप लगाए थे।
