
उत्तर प्रदेश के ग्रामीण विकास मॉडल को नई दिशा देने के लिए सोमवार को एक “दिमागी गठबंधन” हुआ — पंचायती राज विभाग ने राज्य के छह बड़े विश्वविद्यालयों के साथ MoU पर हस्ताक्षर किए हैं।
अब गांव की विकास योजनाओं में यूनिवर्सिटी की ब्रेन पॉवर भी लगेगी। इस प्रोजेक्ट के तहत 750 ग्राम पंचायतें मॉडल डेवलपमेंट हब के रूप में चुनी गई हैं — जहां अब योजनाएं “ग्राउंड लेवल” पर नहीं, बल्कि कैम्पस लेवल पर तैयार होंगी।
शामिल यूनिवर्सिटीज़: गांव से लेकर गंगा तक
इस साझेदारी में शामिल हैं —
- बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय (BHU)
- अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU)
- डॉ. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय (आगरा)
- लखनऊ विश्वविद्यालय
- बुंदेलखंड विश्वविद्यालय (झांसी)
- डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय (अयोध्या)
कार्यक्रम की अध्यक्षता पंचायती राज विभाग के निदेशक अमित कुमार सिंह (IAS) ने की। उन्होंने कहा — “अब गांवों की योजना सिर्फ़ फाइलों में नहीं बनेगी, यूनिवर्सिटी की क्लासरूम से निकलेगी।”
75 जिलों में 750 मॉडल पंचायतें — विकास का नया फॉर्मूला
राष्ट्रीय ग्राम स्वराज अभियान (RGSA) के तहत 2026–27 तक पूरे यूपी के 75 जिलों की 750 पंचायतें “Model GPDP” के रूप में विकसित होंगी।
मुख्य फोकस रहेगा —

- सतत आजीविका (Sustainable Livelihood)
- महिलाओं और बच्चों का विकास
- कम लागत में ज़्यादा असर (Low-cost High Impact Model)
- आधारभूत सुविधाओं का आधुनिकीकरण
अब गांव में पढ़ेगा “डाटा”, निकलेगा “डिवेलपमेंट”
इस योजना के तहत विश्वविद्यालयों के रिसर्चर और छात्र गांवों में जाकर पंचायत योजनाओं पर रीयल-टाइम डाटा इकट्ठा करेंगे। यानी — गांव वालों से बात, सर्वे और फिर इनोवेटिव GPDP Draft।
सरकार की सोच: नीति और ज्ञान का मेल
मनीष कुमार (उपनिदेशक पंचायत, नोडल ऑफिसर RGSA) ने कहा कि यह पहल “नीति और ज्ञान” को एक प्लेटफॉर्म पर लाने की मिसाल है।
अब गांव की समस्या और यूनिवर्सिटी का सॉल्यूशन — दोनों एक टेबल पर होंगे।
यूपी सरकार का यह कदम बताता है कि अब विकास सिर्फ़ बजट पर नहीं, ब्रेन पर भी चलेगा। यूनिवर्सिटी और पंचायत का यह मिलन ग्रामीण भारत के “स्मार्ट और सतत विकास” का नया अध्याय लिख सकता है।
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