
जब आप नई कार खरीदते हैं, तो निर्माता कंपनी एक तय अवधि (जैसे 3 साल या 1 लाख किमी) की वारंटी देती है। इस दौरान किसी तकनीकी गड़बड़ी पर कंपनी मुफ्त मरम्मत करती है।
लेकिन इस भरोसे के बदले कंपनी चाहती है कि आप कार के मूल ढांचे से छेड़छाड़ न करें। वरना आपकी वारंटी सीधे कैंसिल हो सकती है।
कौन-से मॉडिफिकेशन आपकी वारंटी को रद्द कर सकते हैं?
1. बाहरी वायरिंग या इलेक्ट्रिकल मॉडिफिकेशन
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आफ्टरमार्केट लाइट्स, स्पीकर्स, कैमरा या एम्बिएंट लाइट्स लगवाना
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खराब वायरिंग से शॉर्ट सर्किट या ECU फेल
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इंजन की इलेक्ट्रॉनिक यूनिट को नुकसान
2. आफ्टरमार्केट एग्जॉस्ट सिस्टम
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स्पोर्टी साउंड के लिए भारी एग्जॉस्ट
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इंजन बैक-प्रेशर बिगड़ता है
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इंजन पर लोड और वारंटी खत्म
3. बॉडी या चेसिस में छेड़छाड़
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सस्पेंशन बदलना, ग्राउंड क्लीयरेंस बढ़ाना
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एयरबैग जैसे सेफ्टी फीचर्स पर असर
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सनरूफ लगाने से भी स्ट्रक्चरल छेड़छाड़
4. इंजन मॉडिफिकेशन / ECU रीमैपिंग
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ECU रीमैप, टर्बोचार्जर या नाइट्रस इंस्टॉल
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इंजन की क्षमता से ज्यादा लोड
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परफॉर्मेंस के चक्कर में वारंटी खत्म
5. CNG या LPG किट लगवाना
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आफ्टरमार्केट किट से इंजन वाल्व पर असर
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नॉन-अप्रूव्ड गैस किट से इंजन वारंटी कैंसिल
6. पेंट या बॉडी रैपिंग
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ओरिजिनल पेंट हटाने या बॉडी रैप से वारंटी पर असर
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रैप से पेंट प्रोटेक्शन वारंटी समाप्त हो सकती है
कौन-से मॉडिफिकेशन से नहीं पड़ता वारंटी पर असर?
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कंपनी अप्रूव्ड फ्लोर मैट्स, सीट कवर, डोर वाइजर
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डीलर द्वारा इंस्टॉल्ड रिवर्स कैमरा या टचस्क्रीन
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सीमित रेंज में टायर अपग्रेड (जैसे 1 इंच तक)
वारंटी बचाने के लिए क्या सावधानी रखें?
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सर्विस बुक को ध्यान से पढ़ें
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किसी भी कस्टमाइजेशन से पहले डीलर से लिखित अप्रूवल लें
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केवल अधिकृत डीलरशिप से इंस्टॉल कराएं
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सभी बिल और इंस्टॉलेशन रसीदें संभाल कर रखें
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अगर बदलाव जरूरी हैं, तो OEM अप्रूव्ड एक्सेसरीज़ का ही इस्तेमाल करें
कस्टमाइजेशन बन सकता है भारी खर्च का कारण
कार को पर्सनल टच देना सबको अच्छा लगता है, लेकिन ध्यान रखें –
“स्टाइल के चक्कर में सर्विस सेंटर से रिश्ता ना टूटे!”
हर बदलाव जरूरी नहीं होता। कुछ शौक, महंगे सबक बन सकते हैं।
इसलिए सोच-समझकर, प्लान करके और कंपनी की शर्तों के मुताबिक ही कार में बदलाव कराएं – ताकि गाड़ी की वारंटी बनी भी रहे और स्टाइल भी बरकरार रहे।