थरूर बोले–पंख मेरे हैं, खड़गे बोले–अंग्रेज़ी तुम्हारी है!

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

कांग्रेस नेता और सांसद शशि थरूर ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर ऐसा पोस्ट किया, जिसने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी।
पोस्ट में लिखा था, उड़ने के लिए अनुमति लेने की ज़रूरत नहीं. पंख तुम्हारे हैं और आसमान किसी एक का नहीं है.

अब ये पंक्तियाँ सिर्फ साहित्यिक लगें, तो आप राजनीति की बारीकियों को मिस कर रहे हैं! क्योंकि ये संदेश सीधा गया कांग्रेस आलाकमान की ओर, खासकर उस वक्त जब उनके अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे से थरूर की ‘मोदी स्तुति’ पर सवाल पूछा गया था।

ईरान ने भारत को कहा धन्यवाद: क्या बदल रही है वैश्विक शक्ति की धुरी?

खड़गे का जवाब: “अंग्रेज़ी अच्छी है, इसलिए जगह दी”

प्रेस कॉन्फ्रेंस में जब पत्रकारों ने पूछा कि क्या थरूर का “मोदी को घर में समर्थन नहीं मिल रहा” वाला बयान कांग्रेस की ओर इशारा कर रहा है, तो खड़गे ने हँसते हुए पलटवार किया, अंग्रेज़ी मुझे पढ़नी नहीं आती है। उनकी भाषा बहुत अच्छी है। इसलिए तो उन्हें वर्किंग कमेटी में जगह दी है।

कह सकते हैं कि खड़गे ने थरूर को “साहित्यिक शोपीस” की तरह पार्टी में सजाया है—देखने के लिए नहीं, बोलने के लिए नहीं?

थरूर का पोस्ट: सटल नहीं, सीधा वार!

थरूर का “पंख” वाला पोस्ट बग़ावत से ज़्यादा बौद्धिक विद्रोह लगता है। कांग्रेस में जहां अनुशासन का झंडा ऊंचा होता है, वहां थरूर जैसे नेता “बोलने की स्वतंत्रता” को अपने ‘आकादमिक पंख’ मानते हैं। क्या यह पोस्ट सिर्फ कविता थी या पार्टी लाइन से अलग उड़ान की घोषणा?

मोदी की तारीफ़ पर पार्टी में बवाल

शशि थरूर ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में पीएम मोदी की भूमिका की सराहना की थी। लेकिन कांग्रेस का आधिकारिक रुख कुछ और था—देश पहले, मोदी नहीं

खड़गे ने भी कहा, कुछ लोग कहते हैं मोदी फ़र्स्ट, देश बाद में। हमने कहा देश फ़र्स्ट, पार्टी बाद में।

अब थरूर के समर्थन को ‘देश प्रेम’ माना जाए या ‘मोदी प्रेम’—इस पर कांग्रेस कन्फ्यूज़ है, और शायद खुद थरूर भी नहीं।

कांग्रेस में क्लासिकल कन्फ्यूज़न: पंख हैं लेकिन उड़ान संदिग्ध

शशि थरूर को कांग्रेस में “अंग्रेज़ी” के लिए जगह मिली है—यह सुनना जितना सटीक है, उतना ही विडंबनापूर्ण भी।
क्योंकि जब शब्दों की ताकत को राजनीतिक मायनों में तौला जाए, तो थरूर जैसे नेता की भूमिका सिर्फ “अच्छी इंग्लिश” तक सीमित रह जाए—यह कांग्रेस के लिए Loss in Translation जैसा है।

आख़िर में सवाल यह नहीं कि थरूर क्या बोले… सवाल यह है कि कांग्रेस क्या सुन रही है?

शशि थरूर का संदेश यह भी कहता है कि पार्टी के भीतर भी अब कुछ लोग ‘आकाश’ की ओर देख रहे हैं, जबकि नेतृत्व अभी भी ‘भूमि’ पर चल रही प्रेस कॉन्फ्रेंस में अटका है।

कांग्रेस में उड़ान की तैयारी या टेक्निकल फॉल्ट?

थरूर का पंख फैलाना कोई पहला मौका नहीं है। लेकिन इस बार उनके शब्दों ने पार्टी के भीतर की हवा में कुछ घबराहट घोल दी है।
खड़गे का जवाब ‘विनम्र व्यंग्य’ था, लेकिन इसमें छुपा था एक बड़ा संदेश, बोलो जितना बोल सकते हो… लेकिन दिशा हमारी तय की जाएगी।

और थरूर कह रहे हैं, “उड़ने से पहले अनुमति क्यों चाहिए?”

ईरान-इज़राइल युद्ध में इंसानियत हारी। पढ़िए एक भावनात्मक रिपोर्ट

Related posts