चित्तौड़ की आत्मा भले राजस्थान में हो, पर उसका तेज गोरखपुर की गलियों में भी जलता है – उस व्यक्ति के ज़रिए, जिसे हम महंत दिग्विजयनाथ के नाम से जानते हैं।28 सितंबर को उनके ब्रह्मलीन दिवस पर यह समझना जरूरी है कि क्यों गोरखपुर सिर्फ शिक्षा, साधना और सत्ता का केंद्र नहीं, संघर्ष, स्वाभिमान और संस्कार का केंद्र भी है। पांच साल की उम्र में आए थे गोरखपुर, फिर कभी चित्तौड़ नहीं लौटे महंत दिग्विजयनाथ का जन्म उदयपुर के राणा वंश में हुआ – वही वंश जिसने अकबर जैसे बादशाह…
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महंतद्वय को योगी का नमन, सनातन के संस्कारों पर बोले सीएम
गोरखपुर में आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के समापन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि “कर्तव्य के प्रति कृतज्ञता का भाव, सनातन धर्म का मूल संस्कार है।”वे राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ महाराज की 11वीं और महंत दिग्विजयनाथ महाराज की 56वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में श्रद्धासुमन अर्पित कर रहे थे। हनुमान-मैनाक संवाद का उल्लेख, सनातन संस्कृति की व्याख्या मुख्यमंत्री योगी ने रामायण के प्रसंग — हनुमान और मैनाक पर्वत के बीच हुए संवाद का उद्धरण “कृते च कर्तव्यम एषः धर्म सनातनः” प्रस्तुत किया और कहा कि “यह भाव, सनातन संस्कृति की…
Read Moreयोग्य गुरु की छाया में कोई अयोग्य नहीं: CM योगी
गोरक्षपीठ के दो दिव्य आचार्यों—ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 56वीं और महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की 11वीं पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा में गोरक्षपीठाधीश्वर एवं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ओजस्वी शब्दों में श्रद्धा-सुमन अर्पित किए। “अयोग्य व्यक्ति नहीं होता, योग्य गुरु की तलाश होती है” योगी आदित्यनाथ ने श्लोक “अमन्त्रमक्षरं नास्ति…” का हवाला देते हुए कहा: “मनुष्य अयोग्य नहीं होता, उसे केवल सही दिशा दिखाने वाला गुरु चाहिए। महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ ऐसे ही सुयोग्य योजक थे जिन्होंने राष्ट्र और समाज को दिशा दी।” महंतद्वय ने भारत की…
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