संसद के शीतकालीन सत्र में मंगलवार का दिन पूरी तरह वंदे मातरम् की गूंज से भरा रहा। राज्यसभा में विशेष चर्चा की शुरुआत करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने साफ कहा— “वंदे मातरम एक गीत नहीं, बल्कि आजादी, चेतना और मां भारती के प्रति समर्पण का शक्तिशाली मंत्र है।” उन्होंने कहा कि इसे किसी राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए, क्योंकि यह भारत की पहचान और गौरव का हिस्सा है। “जिन्हें समझ नहीं आ रहा… वो अपनी समझ पर विचार करें”—शाह का तंज चर्चा पर सवाल उठाने वालों…
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योगी बोले –वन्दे मातरम् भारत की आजादी का अमर मंत्र
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आज का दिन सिर्फ ऐतिहासिक नहीं, बल्कि भावनात्मक भी है। “वन्दे मातरम्” ने आज़ादी के दौर में जो जोश जगाया था, वही आज देश को नई प्रेरणा दे रहा है। पीएम मोदी ने इस दिन को ‘स्मृति दिवस’ के रूप में मनाने का जो निर्णय लिया, उसे सीएम ने “नई राष्ट्रीय चेतना की चिंगारी” बताया। राष्ट्रगीत से राष्ट्रभाव तक – बंकिम चंद्र को नमन लोकभवन में आयोजित समारोह में वन्दे मातरम् का सामूहिक गायन हुआ और “स्वदेशी” का संकल्प लिया गया।सीएम योगी ने राष्ट्रगीत…
Read Moreनेताजी की कहानी: जिसने अंग्रेज़ों की नींद उड़ा दी
23 जनवरी 1897 को कटक, ओडिशा में जन्मे सुभाष चन्द्र बोस एक प्रतिभाशाली छात्र थे। उनके पिता जानकीनाथ बोस एक प्रसिद्ध वकील थे और मां प्रभावती देवी एक धार्मिक महिला थीं। उन्होंने अपनी पढ़ाई Presidency College, Calcutta और फिर Cambridge University, England से की। देशभक्ति का जुनून और कांग्रेस से अलगाव सुभाष जी बचपन से ही राष्ट्रभक्त थे। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जॉइन की लेकिन महात्मा गांधी की अहिंसा नीति से पूरी तरह सहमत नहीं थे। 1939 में उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर अपनी खुद की पार्टी बनाई – Forward…
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