ठाकरे ने स्पष्ट किया कि लोकसभा चुनावों में पार्टी ने जिन सीटों पर जीत का इतिहास बनाया था, वहां भी उन्हें समझौता करना पड़ा। लेकिन विधानसभा चुनाव में यह ‘समझौता’ राजनीति नहीं, आत्मघात साबित हुआ। “जहां हम पहले जीत चुके थे, वहां भी दूसरों को सीट देकर जनता के मन में गलत मैसेज गया – कि हम खुद कन्फ्यूज़ हैं।” रियायतों की रेस में MVA को खुद को ही हराना पड़ा! 2024 की चुनावी रैलियों में MVA के साथी दलों ने एक-दूसरे से ज्यादा रियायतों की घोषणाएं कीं, जिससे जनता…
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