भारत, जिसकी पहचान दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र और विविध सांस्कृतिक धरोहर के रूप में है, 2025 में एक वैश्विक शक्ति के रूप में उभर चुका है। मगर इस विकास के पीछे कई पेचीदा परतें हैं—जहाँ एक ओर तकनीकी प्रगति है, वहीं दूसरी ओर सामाजिक असमानता और पर्यावरणीय संकट भी हैं। UP Bulletin: बिना अनुमति नसबंदी, पुलिस तबादले और मक्का खरीद अर्थव्यवस्था: तेज़ी के साथ-साथ असमानता की चुनौती भारत की अर्थव्यवस्था अब $4.3 ट्रिलियन तक पहुँच चुकी है, जिसमें सेवा क्षेत्र, डिजिटल इंडिया, और मेक इन इंडिया जैसे अभियानों का…
Read MoreTag: पर्यावरण संकट
लड़ लो भाई! हथियारों से ग्लेशियर तो पिघलेंगे नहीं
दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन का संकट बढ़ रहा है, तापमान रिकॉर्ड तोड़ रहा है, लेकिन महाशक्तियों को इससे ज़्यादा चिंता इस बात की है कि किसका बॉर्डर कितना बड़ा है। ईरान और इजराइल एक-दूसरे पर मिसाइलें तान चुके हैं, वहीं रूस और यूक्रेन तो जैसे युद्ध के स्थायी किरायेदार बन चुके हैं। लगता है जैसे “ग्लोबल वॉर्मिंग” से ज्यादा जरूरी है “जियो-पॉलिटिकल वार्मिंग”। Ansal API: प्रॉपर्टी के नाम पर झुनझुना, अब जांच टीम का डंडा! पिघलती बर्फ, लेकिन नीयत नहीं हिमालय से लेकर आर्कटिक तक बर्फ तेज़ी से पिघल…
Read More