जब घर बना ‘बम गोडाउन’, सुल्तानपुर में मच गई तबाही!

अजमल शाह
अजमल शाह

उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जनपद के गंगेव मियागंज गांव में बुधवार सुबह ऐसा धमाका हुआ कि पूरा गांव थर्रा उठा। नजीर अहमद का पक्का मकान कुछ ही सेकंड में पक्के खंडहर में तब्दील हो गया। धमाका इतना ज़ोरदार था कि तीन आस-पास के घर भी इसकी चपेट में आ गए।

दीवाली तो 2 हफ्ते दूर है, लेकिन यहां फुल-ऑन क्रैकर शो पहले ही स्टार्ट हो गया!

12 लोग घायल, 4 की हालत नाजुक

इस भीषण हादसे में एक ही परिवार के 12 लोग घायल हो गए। कैफ, साहिल, जमातुल निशा और एक अन्य की हालत इतनी गंभीर है कि उन्हें सुल्तानपुर मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया है। घायलों में बच्चे, महिलाएं और एक पड़ोसी परिवार के सदस्य भी शामिल हैं। अब गांव वाले कह रहे हैं — “नजीर के घर में तो शायद ‘दीवाली स्पेशल स्टॉक’ चल रहा था!”

धमाके के बाद उठीं आग की लपटें, घर बना ‘स्लो मोशन ब्लास्ट ज़ोन’

प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, लोग सुबह की सैर पर थे जब तेज धमाके के साथ आग की लपटें उठींपुलिस, फायर ब्रिगेड और एंबुलेंस को मौके पर पहुंचने में देर नहीं लगी, लेकिन तब तक मकान मलबा बन चुका था। मलबे से लगातार चीखें आ रही थीं — और ग्रामीणों ने “हम अपने बचाव कर्मी भी हैं” मोड ऑन करते हुए खुद बचाव अभियान शुरू कर दिया।

पटाखा कारोबार की आशंका: बारूद की गंध और ‘दीवाली-अगेन’ ब्लास्ट पैटर्न

धमाके के बाद पूरे इलाके में बारूद की तेज़ गंध फैल गई, जिससे साफ-साफ पटाखा स्टॉक की आशंका जताई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, नजीर का बेटा यासिर कथित रूप से पटाखों का कारोबार करता था।

यानि घर में चलता था ‘गुप्त गोडाउन’, और बाहर लिखा था — “यह एक सामान्य रसोई है!”

प्रशासन की सक्रियता: एडीएम से लेकर चौराहा इंस्पेक्टर तक पहुंचे

धमाके की गंभीरता को देखते हुए मौके पर पहुंची ADDM, ASP, CO, तहसीलदार और कई थानों की पुलिस। अब जांच चल रही है कि ये धमाका लाइसेंसी पटाखों का था या ‘दीवाली ब्लैक मार्केट’ का।

अगली बार दीवाली में घर सजाने से पहले देख लें – “कहीं आपकी बालकनी के पीछे ‘बॉम्ब फेक्ट्री’ तो नहीं!”

लखनऊ से चंदौली तक पटाखे बन चुके हैं न्यूक्लियर बटन

ये कोई अकेली घटना नहीं है। अयोध्या, लखनऊ, चंदौली — हर जिले में हाल ही में पटाखों से मौत या धमाके की घटनाएं सामने आई हैं।

अब सवाल उठता है — “क्या हर घर में दीवाली से पहले ‘हाउस बम डिस्पोजल’ टीम भेजी जाए?”

दीवाली तो मनाइए, पर ‘दीवारें उड़ाइए’ मत

सुल्तानपुर की इस घटना ने साफ कर दिया है कि गुप्त पटाखा स्टोरेज = निश्चित आत्मघाती प्लान अब सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौती है — “बच्चों की पेंसिल बॉक्स में रॉकेट न निकले, और छत के नीचे शांति से रोटी ही पकाई जाए, रॉकेट नहीं!”

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