
कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी ने हाल ही में एक लेख में ईरान का समर्थन किया, जो अब राजनयिक तूफान का कारण बन गया है। इस पर भारत में इजरायल के राजदूत रूवेन अजार ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
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“नेताओं को क्षेत्रीय हकीकत समझनी चाहिए” – इजरायली राजदूत
राजदूत ने कहा कि किसी भी सार्वजनिक व्यक्ति को बयान देने से पहले तथ्यों और जमीनी हालात की सही समझ होनी चाहिए। उन्होंने सोनिया गांधी की आलोचना करते हुए कहा:
“हमें यह देखकर निराशा हुई कि जिस व्यक्ति का आपने जिक्र किया, उन्होंने 7 अक्टूबर के हमलों की वैसी निंदा नहीं की जैसी करनी चाहिए थी।”
“ईरान बना रहा विनाश का हथियार, हम चुप नहीं रह सकते”
राजदूत अजार ने स्पष्ट कहा कि इजरायल को जवाबी कार्रवाई तब करनी पड़ी जब ईरान “हमारे देश को नष्ट करने के हथियार” हासिल करने की कगार पर था। उन्होंने कहा:
“ईरान की तीन दशक पुरानी आक्रामक नीति को नजरअंदाज करना खतरनाक है। यह एकतरफा नहीं, बल्कि आत्मरक्षा है।”
मोदी के कूटनीतिक प्रयासों पर क्या बोले अजार?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तनाव घटाने की अपील का ज़िक्र करते हुए राजदूत ने कहा:
“अगर ईरान अपने परमाणु और मिसाइल कार्यक्रम बंद कर दे और दूसरे देशों को मिटाने की कोशिश न करे, तो कूटनीति संभव है।”
उन्होंने ईरान से “जिम्मेदार रुख अपनाने” की अपील की जिससे क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाई जा सके।
“बात विचारों की आज़ादी की नहीं, ज़िम्मेदार बयानबाज़ी की है”
राजदूत ने दो टूक कहा कि विचारों की आज़ादी हर किसी को है, लेकिन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मसलों पर नेताओं की ज़िम्मेदारी और बढ़ जाती है।
“राजनीति हो या कूटनीति – हर बयान का वजन होता है”
सोनिया गांधी का ईरान को समर्थन करना केवल एक राय नहीं, एक राजनीतिक संदेश भी है। ऐसे में इजरायली राजदूत की तीखी प्रतिक्रिया न सिर्फ एक डिप्लोमैटिक रिमाइंडर है, बल्कि भारत की संतुलन नीति को भी चुनौती देती है।
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