
सोनभद्र में दोपहर अचानक खौफनाक बन गया, जब बिल्ली–मारकुंडी खनन क्षेत्र की एक विशाल खदान अचानक भरभराकर धँस गई। वही इलाका… जो वर्षों से खनन माफियाओं की मेहरबानी और प्रशासन की “चयनित नींद” का शिकार रहा है।
और दिलचस्प बात— हादसा उसी वक्त हुआ जब क्षेत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कार्यक्रम प्रस्तावित था, बस पाँच किलोमीटर दूर।
कैसे हुआ हादसा? – “Blast हुआ, फिर पूरा पहाड़ नीचे आ गया”
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, खदान में ड्रिलिंग और ब्लास्टिंग की तैयारी चल रही थी। कई कंप्रेशर मशीनें full speed mode में थीं। अचानक पहाड़ का ऊपरी हिस्सा— जोरदार धमाके के साथ टूटा भारी बोल्डर नीचे गिरे और मजदूरों को भागने तक का मौका नहीं मिला, कुछ ही सेकंड में पूरी खदान चीख–पुकार और धूल के गुबार से भर चुकी थी।
दो सगे भाइयों की मौत, कई लापता
सबसे दर्दनाक बात— इस हादसे में जान गंवाने वाले दोनों मजदूर सगे भाई थे:
- संतोष पुत्र शोभनाथ
- इंद्रजीत पुत्र शोभनाथ
दोनों करमसार, पनारी के रहने वाले थे और कंप्रेशर मशीन के पास काम कर रहे थे। कई मजदूर अब भी मलबे में फंसे होने की आशंका है, और बचाव दल पूरी रात से मौके पर जुटा है।
प्रशासन की दौड़–धूप, लेकिन सुरक्षा पर बड़े सवाल
घटना के बाद पुलिस अधीक्षक सोनभद्र, खनन विभाग, SDM-तहसील टीम, तेजी से मौके पर पहुँचे।
लेकिन स्थानीय लोग कहते हैं— “घटना के बाद आने से अच्छा पहले सुरक्षा देख लेते!”

लोगों ने 2012 के बड़े खनन हादसे की याद दिलाते हुए कहा कि “इतिहास फिर दोहराया गया है, बस चेहरों का अपडेट हो गया है।”
खनन माफिया + नियमों की अनदेखी = फटता हुआ सिस्टम
स्थानीय लोगों का दावा—वर्षों से सुरक्षा मानकों की धज्जियाँ उड़ाई जाती हैं, नियम ‘कागज’ तक सीमित, खनन माफिया की मनमानी, प्रशासन की ढिलाई और ब्लास्टिंग में बेतहाशा जोखिम। इन सबका कॉम्बो— ऐसे ही हादसों को जन्म देता है। और इस बार तो हादसे ने सरकार के कार्यक्रम स्थल के ठीक बगल में ही हो कर प्रशासन की पोल खोल दी।
उच्च स्तरीय जांच + दोषियों पर कड़ी कार्रवाई
स्थानीय लोग एक ही बात कह रहे हैं— “सिर्फ मलबा हटाओ नहीं…जिम्मेदारी भी तय करो!”
फिलहाल रेस्क्यू जारी है और विस्तृत रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई होगी।
“Blast से Blast तक—सीधा PAFF-Connection! दिल्ली से श्रीनगर, कहानी पूरी फ़िल्मी!”
