
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अहमदाबाद विमान हादसे की शुरुआती जांच रिपोर्ट लीक होने पर सख्त नाराज़गी जताई है। कोर्ट ने कहा कि जांच पूरी होने तक रिपोर्ट को गोपनीय रखना बेहद ज़रूरी है।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की बेंच ने यह टिप्पणी जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान की।
“जानकारी को सिलेक्टिव रूप से और टुकड़ों में लीक करना दुर्भाग्यपूर्ण है।”
— जस्टिस सूर्यकांत, सुप्रीम कोर्ट
क्या है मामला?
जून 2025 में अहमदाबाद से लंदन जा रहा एयर इंडिया का विमान टेकऑफ़ के कुछ ही मिनटों बाद क्रैश हो गया था। इस भीषण हादसे में 260 लोगों की मौत हो गई थी। शुरुआती जांच रिपोर्ट के कुछ अंश मीडिया में लीक हो गए थे, जिसमें पायलट की संभावित गलती की ओर इशारा किया गया था। बताया गया कि एक पायलट ने दूसरे से पूछा — “तुमने फ्यूल स्विच क्यों बंद कर दिया?”
जनहित याचिका और पायलटों की चिंता
इस मामले में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने कोर्ट के सामने याचिका दायर की है। उन्होंने बताया कि पायलट कम्युनिटी और मृतकों के परिजन उनसे संपर्क में हैं और रिपोर्ट लीक को लेकर गंभीर चिंता जता रहे हैं।
“रिपोर्ट का लीक होना मीडिया ट्रायल को बढ़ावा देता है, जिससे निष्पक्ष जांच प्रभावित हो सकती है।”
मीडिया ट्रायल पर कोर्ट की कड़ी टिप्पणी
कोर्ट ने माना कि मीडिया में चल रहे कुछ नैरेटिव इस हादसे को पायलट की गलती के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने दो टूक कहा:

“इस तरह की संवेदनशील जानकारी का लीक होकर मीडिया में इस्तेमाल होना बेहद चिंताजनक है। जांच पूरी होने से पहले कोई नतीजा निकालना गलत है।”
SC ने क्या कहा गोपनीयता पर?
रिपोर्ट लीक नहीं होनी चाहिए। सिर्फ जांच एजेंसियों को ही रिपोर्ट पर काम करना चाहिए। मीडिया को संयम बरतना चाहिए। पीड़ितों के अधिकारों की रक्षा होनी चाहिए।
न्याय से पहले नैरेटिव नहीं
अहमदाबाद विमान हादसा भारत के एविएशन इतिहास की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक बन गया है। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी यह साफ़ करती है कि जब तक जांच पूरी न हो, न मीडिया को, न ही आम जनता को किसी नतीजे पर पहुंचना चाहिए।
Leak से न केवल सच्चाई प्रभावित होती है, बल्कि पीड़ितों और आरोपितों दोनों के अधिकारों का उल्लंघन होता है।
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