
बुधवार को भारतीय वित्तीय बाजारों में बड़ा झटका लगा जब रुपया पहली बार इतिहास में डॉलर के मुकाबले 90 के पार फिसल गया।
सुबह के शुरुआती कारोबार में रुपया 90.14 तक गिरा, जबकि मंगलवार को ही यह 89.94 तक टूट चुका था।
यह गिरावट सिर्फ एक नंबर नहीं— ये संकेत है कि डॉलर की डिमांड बढ़ रही है और रुपया दबाव में है।
डॉलर की मजबूत पकड़ और FPI की घर वापसी
वजह साफ है— विदेशी निवेशकों की लगातार sell-off कंपनियों व importers की भारी डॉलर डिमांड अमेरिका-भारत ट्रेड डील पर बातचीत का रुक जाना। विदेशी मुद्रा बाजार में डॉलर की औचक मजबूती। रुपये ने अपनी तरफ कहा होगा—“भाई, सब मेरे ही पीछे क्यों पड़े हो?”
लेकिन बाज़ार में भावनाएँ नहीं, फंड फ्लो चलता है।
RBI की MPC मीटिंग — अब फैसले मुश्किल!
RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक आज से शुरू हो रही है। 5 दिसंबर को इसका फैसला आना है। अगर रेट कट का संकेत आता है विदेशी निवेशक और तेजी से पैसा निकाल सकते हैं। रुपया और दबाव में आ सकता है। लेकिन रुपये की यह गिरावट MPC के लिए स्थिति को “कठिन मोड – हार्ड लेवल” बना सकती है।
अमेरिका का फैक्टर भी बड़ा
US Federal Reserve भी 10 दिसंबर को अहम घोषणा करेगा। अगर वहाँ से ‘hawkish’ संकेत मिले तो डॉलर और मजबूत हो सकता है—
और रुपया फिर से चोट खा सकता है।

रुपया—डॉलर कहानी का नया मोड़
यह पहली बार हुआ है कि रुपया “डॉलर का सेंचुरी पार्टनर” बन गया है। सोशल मीडिया पर लोग मजाक में कह रहे—“रुपया फॉर्म में है… लेकिन दिशा उलटी है!”
लेकिन असल स्थिति गंभीर है—
- आयात महंगा होगा
- कंपनियों की लागत बढ़ेगी
- महंगाई पर असर पड़ सकता है
अब उम्मीदें RBI और global cues पर टिकी हुई हैं।
“किसान बेफिक्र रहें! योगी सरकार का बड़ा आदेश–धान खरीद अब और तेज”
