जम्मू: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में वक्फ कानून को लेकर भारी हंगामा हुआ, जिसके बाद राजनीतिक बयानबाजी का दौर जारी है। भाजपा और विपक्ष के बीच इस मुद्दे पर तीखी नोकझोंक देखने को मिली है, और अब तक दोनों पक्ष अपनी-अपनी स्थिति को लेकर बयान दे रहे हैं।
भाजपा विधायक विक्रम रंधावा का आरोप
भाजपा विधायक विक्रम रंधावा ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि विपक्ष विकास के मुद्दों पर चर्चा करने के लिए तैयार नहीं है और बेबुनियाद मुद्दों को उठा रहा है। उन्होंने कहा, “विधानसभा में जो कुछ हुआ, वह सही नहीं था। हमें विधानसभा को ठीक तरीके से काम करने देना चाहिए। विपक्ष को बेबुनियाद मुद्दा मिल गया है, और वे इसे उठाकर अपने आकाओं को दिखाना चाहते हैं।” रंधावा ने यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा इस मुद्दे पर जम्मू-कश्मीर विधानसभा में कोई चर्चा नहीं होने देगी और स्पीकर ने भी यह साफ कर दिया है कि सदन नियमों के अनुसार ही चलेगा।
नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी का विरोध
नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक तनवीर सादिक ने वक्फ कानून पर चर्चा की जरूरत को बताया। उन्होंने कहा कि विधानसभा के 25 सदस्य स्थगन प्रस्ताव लाए हैं और उनका मानना है कि यह एक संवेदनशील और भावनात्मक मुद्दा है, जिस पर चर्चा होनी चाहिए। सादिक ने उम्मीद जताई कि स्पीकर स्थिति की गंभीरता को समझेंगे और उन्हें बोलने की अनुमति देंगे।
वहीं, पीडीपी विधायक वहीद पारा ने भी वक्फ संशोधन विधेयक के खिलाफ प्रस्ताव की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि नेशनल कॉन्फ्रेंस भाजपा की मदद कर रही है। पारा ने कहा, “मुख्यमंत्री को सदन में होना चाहिए था, लेकिन वे ट्यूलिप गार्डन में उस मंत्री की अगवानी करने गए, जो इस विधेयक को पेश करने के लिए जिम्मेदार हैं।”
वहीद पारा ने आरोप लगाया, “यह भाजपा की मदद करने और वक्फ संशोधन विधेयक को सामान्य बनाने का कदम है, जिसे भाजपा और इस सरकार ने पारित किया है।”
सज्जाद गनी लोन का सरकार पर हमला
सज्जाद गनी लोन ने जम्मू-कश्मीर सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “राज्य में नेशनल कॉन्फ्रेंस की सरकार है और उनका ही स्पीकर है, लेकिन वक्फ कानून को लेकर वे कुछ सुनने को तैयार नहीं हैं।”
भाजपा विधायक आरएस पठानिया का बयान
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में हुए हंगामे पर भा.ज.पा. विधायक आरएस पठानिया ने कहा, “यह जम्मू-कश्मीर की संसदीय राजनीति का सबसे निचला स्तर है, जहां नेशनल कॉन्फ्रेंस सत्ताधारी पार्टी होते हुए भी सदन की कार्यवाही को बाधित कर रही है। वे सदन के कामकाज में बाधा डाल रहे हैं और हमें यह स्वीकार करना होगा कि स्पीकर ने हस्तक्षेप करने की कोशिश की, लेकिन विपक्ष ने उनकी भी नहीं सुनी। मुख्यमंत्री ने खुद कहा है कि मामला विचाराधीन है।”