पीएमएमवाई: महिलाओं को उद्यमिता और आर्थिक सशक्तिकरण में सहायता

नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को प्रधानमंत्री मुद्रा योजना (पीएमएमवाई) के प्रभाव पर चर्चा करते हुए बताया कि इस योजना के तहत कुल ऋण खातों में से लगभग 68 प्रतिशत महिलाओं को स्वीकृत किए गए हैं। उन्होंने कहा कि पीएमएमवाई अब महिलाओं के सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण साधन बन गई है, जो उन्हें न केवल राष्ट्रीय आर्थिक विकास में योगदान देने में सक्षम बना रही है, बल्कि महिला उद्यमियों की अगली पीढ़ी को भी प्रेरित कर रही है।

पीएमएमवाई का प्रभाव और उद्देश्य

वित्त मंत्री ने कहा कि योजना आर्थिक सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने यह भी बताया कि बजट 2024-25 के तहत, “पिछले साल 20 लाख रुपए की बढ़ी हुई लोन लिमिट के साथ तरुण-प्लस कैटेगरी की शुरुआत से संपन्न उद्यमियों को अपने व्यवसाय को विस्तार देने और अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल करने में मदद मिलेगी।” यह योजना वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से छोटे और सूक्ष्म उद्यमियों को कोलेटरल-फ्री लोन प्रदान करती है।

प्रधानमंत्री मुद्रा योजना का 10 वर्षों का जश्न

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 8 अप्रैल, 2015 को शुरू की गई पीएमएमवाई इस समय पूरे भारत में छोटे और सूक्ष्म उद्यमियों को सशक्त बनाने के 10 वर्षों का जश्न मना रही है। योजना का उद्देश्य छोटे व्यवसायों को वित्तीय सहायता प्रदान करना है, ताकि वे बिना संपत्ति के अपने व्यवसाय को बढ़ा सकें और आत्मनिर्भर बन सकें।

लोन लिमिट में वृद्धि और तरुण-प्लस कैटेगरी

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने केंद्रीय बजट 2024-25 में लोन लिमिट को बढ़ाकर 20 लाख रुपए करने की घोषणा की है। साथ ही, “तरुण-प्लस” कैटेगरी की शुरुआत की गई है, जो उन उद्यमियों के लिए है जिन्होंने पहले तरुण कैटेगरी के तहत ऋण लिया और उसे सफलतापूर्वक चुकाया है। इस कैटेगरी के तहत अब वे 10 लाख रुपए से 20 लाख रुपए तक का लोन प्राप्त कर सकते हैं।

क्रेडिट गारंटी फंड (CGFMU) और बढ़े हुए लोन

माइक्रो यूनिट्स के लिए क्रेडिट गारंटी फंड (सीजीएफएमयू) अब इन बढ़े हुए लोन के लिए गारंटी कवरेज प्रदान करेगा, जिससे उद्यमिता के लिए एक मजबूत इकोसिस्टम तैयार किया जा सकेगा। यह कदम सरकार की उद्यमिता को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को और मजबूत करता है।

पीएमएमवाई की उपलब्धियां

वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि पीएमएमवाई के तहत अब तक 52 करोड़ से अधिक मुद्रा लोन अकाउंट के लिए 33.65 लाख करोड़ रुपए से अधिक की राशि स्वीकृत की जा चुकी है। इस योजना ने विशेष रूप से समाज के वंचित वर्गों से जुड़े उद्यमियों की आकांक्षाओं को पंख दिए हैं। 2015 से अब तक, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और ओबीसी समुदायों को 11.58 लाख करोड़ रुपए के मुद्रा लोन स्वीकृत किए गए हैं, जो प्रधानमंत्री के ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ के मंत्र को साकार करते हैं।

पीएमएमवाई का वैश्विक महत्व और वित्तीय समावेशन

केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने पीएमएमवाई को भारत की सबसे महत्वपूर्ण पहलों में से एक बताया, जो वैश्विक स्तर पर भी उद्यमिता को बढ़ावा देने में सहायक है। उन्होंने कहा, “वित्तीय समावेशन सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है, क्योंकि यह समावेशी विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पीएमएमवाई छोटे उद्यमियों को बैंकों, एनबीएफसी और एमएफआई से लोन सहायता प्राप्त करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।”

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