
कांग्रेस नेता और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी इन दिनों चुनाव आयोग पर लगातार हमलावर हैं। आरोप है – फर्जी वोटिंग, डबल वोटिंग, और आयोग की चुप्पी। लेकिन अब चुनाव आयोग ने राहुल को वही दिया है, जो राजनीति में सबसे खतरनाक होता है – ऑफिशियल जवाब।
“शकुन रानी ने एक ही बार वोट दिया” – EC की चिट्ठी
राहुल गांधी ने अपने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में शकुन रानी नाम की मतदाता का ज़िक्र किया था, जिनके नाम पर कथित तौर पर दो बार वोट डाला गया। लेकिन चुनाव आयोग ने कहा है:
“शकुन रानी ने खुद कहा कि उन्होंने केवल एक बार ही वोट किया।”
और जिस ‘टिक मार्क डॉक्यूमेंट’ को राहुल गांधी ने प्रमाण के तौर पर दिखाया था, उस पर आयोग ने टिप्पणी की:
“वह दस्तावेज़ पोलिंग ऑफिसर द्वारा जारी नहीं किया गया है।”
यानी सस्पेंस अभी बना हुआ है, लेकिन स्क्रिप्ट में ट्विस्ट आ चुका है।
“शपथ पत्र दो” बनाम “नहीं देंगे!”
EC ने राहुल गांधी से शपथ पत्र में सबूत देने को कहा, लेकिन राहुल गांधी ने सीधे तौर पर मना कर दिया। राजनीतिक भाषा में इसे कहते हैं: “हम आरोप लगाएंगे, आप खुद खोजिए कि सही है या गलत।”
“टिक मार्क से टेंशन मार्क तक पहुंची बात!”
चुनाव में अब वोटर की उंगली नहीं, लीडर की जुबान स्याही में डूबी मिल रही है!
आयोग कह रहा है – “हम सबूत मांगते हैं”, राहुल कह रहे हैं – “हम सवाल पूछते हैं!”
इस बार चुनाव प्रचार में पोस्टर कम, पर्चे और प्रेस कांफ्रेंस ज़्यादा चल रहे हैं।
सवाल:
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क्या राहुल गांधी के आरोपों में दम है या सिर्फ पॉलिटिकल प्रेशर बिल्ड करना है?
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चुनाव आयोग की पारदर्शिता पर सवाल उठाना लोकतांत्रिक अधिकार है,
लेकिन बिना सबूत के? -
और आखिर वो ‘टिक मार्क डॉक्यूमेंट’ कौन बना रहा है?
राहुल गांधी और चुनाव आयोग के बीच की यह बहस केवल वोटों की नहीं, साख की लड़ाई बन चुकी है। जहां एक तरफ राहुल गांधी सत्ता और संस्थाओं पर हमला बोल रहे हैं, वहीं चुनाव आयोग खुद को निष्पक्ष साबित करने में जुटा है।
अब देखना ये है कि डॉक्यूमेंट्स की ये लड़ाई कहां जाकर टिकती है – कानून के दरवाज़े पर या चुनावी भाषणों में।
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