
लोकसभा चुनाव ख़त्म हुए महीनों बीत चुके हैं, लेकिन पॉलिटिकल थ्रिलर अब भी जारी है। ताज़ा एपिसोड में राहुल गांधी ने सीधा-सीधा आरोप ठोक दिया है कि “वोट चोरी हुआ है, और कोई पकड़ने वाला नहीं!”
अब ये कोई बॉलीवुड स्क्रिप्ट नहीं है, बल्कि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष की प्रेस कॉन्फ्रेंस है।
राहुल का बड़ा दावा: “वोट चोरी हुआ है, साब!”
राहुल गांधी ने दावा किया कि न सिर्फ लोकसभा चुनाव, बल्कि महाराष्ट्र और हरियाणा में भी वोटर लिस्ट में धांधली की गई है। और इस बार वे खाली हाथ नहीं आए — कथित ‘सबूत’ के साथ आए।
“चुनाव आयोग को इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड क्यों नहीं देना चाहिए? कुछ तो गड़बड़ है दया!” — राजीव शुक्ला मोड ऑन
सरकार का पलटवार: “कहानी अच्छी है, लेकिन सबूत कहां है?”
केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने राहुल गांधी को ‘सबूतविहीन स्क्रिप्ट राइटर’ बताया। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग ने 12 जून को राहुल गांधी को बुलाया था, लेकिन वे “मीटिंग छोड़कर ट्वीटर मीटिंग” में चले गए।
“ये जनादेश का अपमान है, न कि सिर्फ विपक्ष का दावा।” — प्रह्लाद जोशी, फैक्ट चेकर ऑन ड्यूटी।
विपक्ष की रैली: “कहानी में दम है”
कांग्रेस के गौरव गोगोई बोले, “राहुल गांधी ने जो दिखाया वो सिर्फ आरोप नहीं, डिजिटल दस्तावेज हैं। सरकार को डर क्यों है? संसद में चर्चा क्यों नहीं?”
अब इसमें कितनी सच्चाई है, ये तो EC की क्लीन चिट या कोर्ट की ‘कट टू कट’ सुनवाई ही बताएगी, लेकिन अभी के लिए ड्रामा टाइट है।
बीजेपी का पंच: “उनकी पार्टी भी नहीं मानती!”
गजेंद्र शेखावत ने कहा कि राहुल गांधी को उनकी अपनी पार्टी सीरियसली नहीं लेती, तो देश क्यों ले? और जनता भी अब “आरोपों के सीज़न-2” को लेकर बोर हो चुकी है।
“पहले एपिसोड में ‘अडानी’, दूसरे में ‘पेगासस’, अब तीसरे में ‘वोट चोरी’ — Netflix ले ले इसे!” — ट्रोल यूनियन ऑफ इंडिया
सबूत वर्सेस सियासत — किसे दें वोट ऑफ थैंक्स?
राहुल गांधी जो कह रहे हैं, अगर सही है तो देश की लोकतंत्रिक नींव हिल चुकी है। लेकिन अगर ये बस एक पॉलिटिकल नेरेटिव है, तो फिर ये ‘क्राई वुल्फ’ कहानी दोहराने जैसा है।
चुनाव आयोग पर भरोसा तो करना होगा, लेकिन उसकी पारदर्शिता की भी टेस्टिंग ज़रूरी है।
वरना अगली बार वोटिंग से पहले लोग पूछेंगे:
“EVM चल रही है या Netflix का ट्रेलर है?”
“किताबें अब सरकारी गिफ्ट होंगी! असम सरकार ने किया ‘बुक ईयर’ का ऐलान”